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धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में शाकाहार के बदले मांसाहार को बढ़ावा देना है बड़ी साजिश

locationउदयपुरPublished: Jul 20, 2019 10:15:38 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

Vegetarianism धर्मसभा में बोले राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश 

udaipur

धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में शाकाहार के बदले मांसाहार को बढ़ावा देना है बड़ी साजिश

उदयपुर. vegetarianism राज्यसभा ( upper house ) में अंडे और मुर्गी को शाकाहार ( Vegetarianism ) का दर्जा दिलाने की वकालत करने वाले शिवसेना संासद संजय राउत ( parliament member of Shivsena ) को राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ( Rashtrasant Kamal Muni Kamlesh ) ने खुली बहस ( challange for open debate ) के लिए चुनौती दी। उन्होंने कहा कि देश में शाकाहार के बदले मांसाहार ( Vegetarians instead of vegetarianism ) को बढ़ावा देना एक षडय़ंत्र है। पंचायती नोहरा धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि ने शनिवार को कहा कि कोई भी अंडा शाकाहारी नहीं होता। अंडे पेड़ पर नहीं लगते और न ही खेत में पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि सिटी युनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क ( city university of New York ) ने स्पष्ट किया है कि अंडे और मुर्गी आपस में 48 घंटे बात करते हैं। उन्होंने स्कूलों में अंडे ( eggs ) वितरण योजना का कड़ा विरोध किया। कहा कि यह सरासर धर्मनिरपेक्ष कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जैन संत ( Jain saint) ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी देकर कहा कि अंडे में कोलस्ट्रोल ( Cholesterol ) अधिक मात्रा में होने तथा कार्बोहाइड्रेट्स नहीं होने से शरीर में बीमारियां पैदा होती हैं। राष्ट्रसंत ने कहा कि अंडों में 13.3 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि सोयाबीन में 40फीसदी प्रोटीन साबित हो चुका है। मुनि ने मुर्गी पालन को कृषि का दर्जा देने पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि सांसद राउत को उनके व्यक्तव्य पर माफी मांगनी चाहिए। अंडे अपने आप में जहर है। तामसिक होने से सात्विक विचारों का पतन तन रोगों का घर बन जाता है उन्होंने चेताया कि देश के सभी विद्यालयों में अंडे वितरण पर केंद्र सरकार तत्काल रोक लगाए नहीं तो संत समाज खामोश नहीं बैठेगा। इससे पहले कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। Vegetarianism and Religion अभिजीत मुनि ने सुख पाक सूत्र का वाचन किया
हंसमुख स्वभाव में छिपी जीवन की सफलता
वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाड़ी में नियमित प्रवचन कार्यक्रम में शनिवार को साध्वी अभ्युदया ने कहा कि चेहरे पर खुशी रहती है तो सामने वाले के आकर्षण का केंद्र होते हैं। चेहरे पर मनुष्य के मुस्कुराहट नहीं होगी तो उसे कोई पसंद नहीं करेगा। हंसमुख स्वभाव से हर किसी को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। यही जीवन की सफलता का मंत्र है। उन्होंने कहा कि चित्त की प्रसन्नता के साथ कोई भी काम करो, वो अच्छा फल देता है। घर में अगर छप्पन भोग की नदियां बह रही हो तो तप की ओर ध्यान ही नहीं जाता। Vegetarianism and religion सुख के साथ दु:ख भी जरूरी है। अन्यथा सुख का महत्व ही पता नहीं चलता।
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