READ MORE : VIDEO : दुकानों के बाहर ‘बिका हुआ माल वापस नहीं होगा’ लिखने वालों के साथ क्या हुआ, जानिए यहां भी होती है गड़बड़ीकम समितियां होने के कारण हजारों टन पोषाहार प्रत्येक समिति के भरोसे वितरित होता है। इधर अधिकतर स्कूलों के पास तौलने के संसाधन नहीं हैं। वहीं कम तौल का खाद्यान लेकर पूरी रसीद थमा देना भी मिलीभगत की ओर इशारा करता है। जिले में 3907 स्कूलों में त्रैमासिक 1500 से 2000 टन गेहूं और चावल पोषाहार के लिए सप्लाई होता है।