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‘जुलूस’ ने जगाया गोरों का साथ दे रहे दरोगा का जमीर

locationउदयपुरPublished: Aug 02, 2019 03:17:06 am

Submitted by:

Manish Kumar Joshi

Theatre: मुंशी प्रेमचंद जयंती : नाट्य प्रस्तुति से कलाकारों ने दी मुंशी प्रेमचंद को श्रद्धांजलि, बड़े भाईसाहब और एक्ट्रेस कहानी भी हुई जीवंत

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‘जुलूस’ ने जगाया गोरों का साथ दे रहे दरोगा का जमीर

उदयपुर. नाट्यांश (natyansh) नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संस्थान की ओर से साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद (munshi prem chand) की 139वीं जयंती के उपलक्ष्य में संस्था के कलाकारों ने महाराष्ट्र समाज भवन में मुंशी जी लिखित विभिन्न कहानियों पर आधारित नाटक में प्रभावी अभिनय की छाप छोड़ी।
सयोजक मोहम्मद रिजवान मंसूरी ने बताया कि पहली प्रस्तुति कहानी ‘जुलूस’ (joolsa) का नाट्य मंचन किया गया। यह कहानी स्वतंत्रता से पूर्व की घटनाओं को प्रस्तुत करती हैं, जहां लोग अलग-अलग तरीके से ब्रिटिश सरकार का विरोध कर रहे हैं और विरोध प्रदर्शन के लिए एक जुलूस निकलते हैं। एक भारतीय दरोगा बीरबल सिंह उनको रास्ते में ही रोक कर लाठीचार्ज शुरू करवा देता है। इस लाठीचार्ज में अधिकतर लोग बुरी तरह से घायल होते है तथा जुलूस के नेता इब्राहीम अली की मृत्यु हो जाती है। इब्राहीम अली की मृत्यु की खबर पाकर बीरबल को अहसास होता है कि उसने अक्षम्य अपराध किया है। स्वराज के लिए जिन देशवासियों का साथ देना चाहिए, उन्हीं पर लाठीचार्ज करवा दिया। इस घटना से उसे पछतावा होता है और अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर स्वराजियों का साथ देने लगता है। इस नाट्य मंचन में कलाकारों के रूप में राघव गुर्जर गौड़, अगस्त्य हार्दिक नागदा, चक्षु सिंह रुपावत, ईशा जैन, पीयूष गुरुनानी, हर्षुल पंड्या, अंशुल, सलोनी पटेल, रेखा सिसोदिया, महेश जोशी, नीति शर्मा एवं मोहम्मद रिजवान ने अभिनय किया। नाटक का निर्देशन रेखा सिसोदिया ने किया एवं संगीत राहुल सोलंकी एवं प्रकाश अमित श्रीमाली ने किया।
एकल कथापाठ में राघव गुर्जरगौड ने बड़े भाई साहब का मंचन किया गया। बड़े भाई साहब (bade bhai sahab) कहानी उन दो भाइयों की की कहानी है जिसमें से छोटा भाई अपनी पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारियों से भागता है और तरह तरह की खेलकूद में समय को व्यतीत करता है। दूसरी ओर बड़ा भाई अपनी और छोटे भाई की जिम्मेदारियों को संभालता है। छोटा भाई अपने बचपन की कहानियां दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है जिसमें वह अपने बड़े भाई के बारे में बचपन में हुए घटनाक्रम को चित्रित करता है जिसमें साफ झलकता है कि किस तरह बड़े भाई के प्रेम और रोष से मिले हुए शब्दों के सत्कार ने उसका जीवन बदल दिया।
एकल कथापाठ में अगली प्रस्तुति रेखा सिसोदिया द्वारा अभिनीत कहानी ‘एक्ट्रेस’ (actress) की थी। यह कहानी एक मध्य आयु वर्ग की सफल रंगमंच की अदाकारा तारा देवी के जीवन का वर्णन करती है। तारा देवी को अपने एक प्रशंसक कुंवर निर्मलकांत चोधरी से प्यार हो जाता हैए जो की शहर के सबसे बड़े रईस और बहुत विद्वान है। कुंवर साहब तारा देवी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखते है जिसे वो स्वीकार कर लेती है। परन्तु उसकी छद्म आवरण में ढकी जीवन शैली उसे इस बात को अहसास करती है की वो केवल रंग रोगन की हुई गुडिया है जो सिर्फ मनोरंजन का साधन मात्र है। उसे लगता है कि वह अब एक नवयौवना नहीं रही है इसलिए वह कुंवर को खुश रखने में सक्षम नहीं होगी। विवाह की एक रात पहले वह कुंवर साहब के लिए एक पत्र और उनसे मिले उपहार छोडक़र चली जाती है और सांसारिक मोह-माया को त्यागकर एक नए सादे जीवन की शुरुआत करती है।
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