आदिवासी समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करने उपखंड मुख्यालय सहित आसपास के गांव ओगणा, पीलक, अटाटिया, काड़ा, गेजवी, ओड़ा, थोबावाड़ा, देवास, नांदवेल, बाघपुरा, मादड़ी, माकड़ादेव, सैलाणा, चन्दवास, गोराणा, खाखड़, मगवास, कंथारिया, कोचला आदि गांवों से पहुंचे और गंगा वेरी कुंड में अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित कर पूजा अर्चना की।
स्नान कर विसर्जित करते हुए अस्थियां प्राचीन कमलनाथ महादेव मंदिर के नजदीक स्थित गंगा वेरी कुंड में आदिवासी समुदाय के पुरूष स्नान करते है उसके बाद भगवान शिव की पुजा अर्चना कर गंगा वेरी के पानी में अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते है।
इस मंदिर में लंकापति रावण ने की थी भगवान शिव की पूजा झाड़ोल का प्रमुख कमलनाथ महोदव मंदिर आवरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है और इस मंदिर की कई लोक मान्यताएं है। किवदंती के अनुसार यहां त्रेतायुग में लंकापति रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए कमल पुष्प अर्पित किए थे। महादेव ने एक कमल पुष्प चुरा लिया था। बाद में रावण ने अपने कमलनयन आंख रूपी पुष्प सहित पूरे 108 पुष्प मंत्रोच्चारण के साथ चढ़ाए तो महादेव रावण की पूजा से प्रसन्न हुए। बताते हैं कि उसी दिन से इस शिवधाम का नाम कमलनाथ महादेव नाम से विख्यात हुआ। सावन माह में यहां की प्राकृतिक खूबसूरती भी कई गुना बढ़ जाती है और आने वाले श्रद्धालु यहां महादेव के दर्शन के साथ घूमने-फिरने का लुत्फ भी उठाते हैं।