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उदयपुर

जनजाति मंत्री के इलाकों का हाल: सुकून से अंतिम संस्कार के लिए ठिकाना तक नहीं

वर्षाकाल में ज्यादा होते है हालत खराब, पानी में से होकर ले जाते है शव, अंतिम संस्कार के लिए खुला आसमान व नदी नालों के आसपास चिता सजाना मजबूरी

उदयपुरApr 28, 2024 / 05:28 pm

Shubham Kadelkar

jhadol photo

मदनसिंह राणावत/झाड़ोल (उदयपुर). दक्षिणी राजस्थान के दर्जनों जनजाति बहुल गांवों की द्रवित कर देने वाली तस्वीर यह है कि पूरी जिंदगी रोटी, पानी की जुगाड़ की जद्दोजहद के बीच प्राणांत हो जाने पर सुकून से अंतिम संस्कार तक के लिए व्यविस्थत ठौर तक नहीं है। मजबूरीवश आदिवासी परिवारों को नदी नालों के इर्द गिर्द अंतिम संस्कार के लिए जगह तलाशनी पड़ती है। वर्षाकाल में तो हालत और भी ज्यादा खराब हो जाते है। शव लेकर नदी पार करने जैसे दृश्य दक्षिणी राजस्थान के अधिसंय जनजाति गांव में आम है। यहां जिक्र कर रहे है उदयपुर जिले की सीमांत पंचायत समिति फलासिया की ग्राम पंचायत गुराड़ के राजस्व गांव बोबरावाड़ा की, जहां आजादी के अमृतकाल में भी श्मशान चिह्ति कर टीनशेड़ आदि लगाने के काम नहीं हुए है। यह हाल अकेले बोबरावाड़ा के ही नहीं वरन आज पास के बुरावाड़ा, भूराड़, कोट, वायावाड़ा, परमेर जैसे दर्जनों गांवों में अंतिम संस्कार के लिए खुला आसमान व नदी नालों के आसपास की खुली जमीन पर चिता सजाना मजबूरी है। एक ओर विकसित भारत के दिवा स्वप्न दिखाते हुए विश्व में तीसरे नबर की आर्थिक ताकत बनने के दावे किए जा रहे है वहीं जनजति बहुल सैकड़ों ग्राम पंचायतें आधारभूत सुविधाओं तक के लिए तरस रही है।

हर बार उठाई आवाज, किसी ने नहीं की सुनवाई

ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने आधारभूत सुविधाओं के आवाज मुखर नहीं की, समय-समय पर पंचायत मुयालय पर लगने वाले विकसित भारत शिविर, प्रशासन गांवों के संग अभियान और ऐसे ही अन्य शिविरों में बार-बार प्रस्ताव दिए जाते रहे है लेकिन ये प्रस्ताव फाइलों की शोभा बढ़ा रहे है। सामाजिक कार्यकर्ता धनराज गरासिया ने मंत्री खराड़ी से आग्रह किया कि विधानसभा झाड़ोल के सभी पंचायतों को विशेष शिविर अभियान के माध्यम से सभी गांवों को श्मशान घाट के लिए जमीन आवंटित करवावें तथा वहां आधुनिक सुविधाओं के लिए बजट स्वीकृत करे ताकि आदिवासी समाज को मुत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने में सहयोग मिल पाए।

मंत्रीजी वाकिफ, फिर भी समस्या जस की तस

मौजूदा राज्य सरकार में जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी स्वयं इस इलाके का नेतृत्व करते है। ग्रामीणों की इन सभी छोटी बड़ी समस्याओं से वे भलीभांति वाकिफ है, स्थानीय युवा धनराज गरासिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जनजाति मंत्री से मुलाकात कर श्मसानघाट, ग्रेवल सड़क, सामुदायिक भवन, विद्यालय क्रमोनयन संबंधी सुविधाओं के लिए ज्ञापन भी दिए लेकिन सिथति जस की तस है।

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