वर्ष २०१९ में ३३ छात्रों के नामांकन वाला यह विद्यालय २०१२ में क्रमोन्नत हुआ। ग्रामीणों को आस बंधी कि जल्द भवन बन जाएगा। विभाग ने जमीन मांगी तो ग्रामीणों ने सहमति बनाकर देवरे के पास पड़ी जमीन भी उपलब्ध करवा दी, लेकिन बजट नहीं मिला। इसके बाद वर्ष २०१४ तक यह विद्यालय बरगद के पेड़ के नीचे चला। २०१५ के सत्र में गांव के लक्षमण मीणा ने कच्चा छप्पर मुहैया करवाया, लेकिन परिवार के भी पास में रहने व खाना बनाने से धुएं से परेशानी होने लगी। परेशान छात्र जैसे-तैसे पढ़ाई करने लगे लेकिन मकान मालिक को जगह कम पडऩे से फिर विद्यालय सड़क पर आ गया। कुछ समय देवरे में चलने के बाद गांव के शांति लाल मीणा का कच्चा मकान मिला। उसमें सत्र पूरा किया गया। वर्ष २०१६-१७ में लालुराम मीणा ने पक्के मकान का एक कमरा मुहैया करवाया, लेकिन उस समय ४२ छात्रों की पांच कक्षाओं को एक कमरे में पढ़ाना शिक्षकों के लिए मुश्किलभरा था और छात्र कमरे के बाद बकरों के साथ पढ़ाई करने को विवश हुए। २०१८ में स्वीकृति के बाद भवन का कार्य शुरू हो गया। उम्मीद थी कि २०१९ में भवन नसीब होगा लेकिन विभाग की अनदेखी के चलते वही ढाक के तीन पात जैसी स्थिति बनी है । ग्रामीण देवीलाल रावत, नवलराम, लक्ष्मण, शांतिलाल, ऊंकार लाल, भगवतीलाल, हीरालाल, गोविंद सहित ग्रामीणों ने विभाग से घटिया निर्माण कार्य की शिकायत करते हुए कार्य को सुधारते हुए जल्द कार्य को निपटाने की मांग की है ।
उच्चाधिकारियों से बात करेंगे
लंबी मांग के बाद विद्यालय भवन का कार्य शुरू हुआ लेकिन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते घटिया निर्माण कार्य की शिकायतें मिल रही है। मौका देख उच्चाधिकारियों से चर्चा की जाएगी। नौ माह बाद भी भवन नहीं बनने से छात्र पेड़ की छाव में पढ़ रहे हैं। यह चिंता जनक है।
दिनेश चौधरी, सरपंच, ग्राम पंचायत आकोला
ठेकेदार को जारी किया नोटिस
ग्रामीणों की ओर से घटिया निर्माण कार्य की शिकायत के बाद मैंने मौके पर जाकर भवन को देखा है। घटिया निर्माण कार्य देखकर निर्माण कार्य को रुकवाते हुए संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी किया है।
संदीप कुमार, जेईएन, सर्वशिक्षा विभाग