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भगवान महावीर की त्याग भावना अपनाएं
उदयपुर. मुनि शास्त्र तिलक विजय ने कहा कि भगवान महावीर ने संसारिक वस्तुओं का त्याग किया। जैन सन्यास अपनाया। हमें भगवान के किए गए त्याग की इच्छा नहीं रखनी चाहिए, अपितु भगवान ने जो अपनाया उसे अपनाने की इच्छा रखनी चाहिए। हिरण मगरी सेक्टर ४ स्थित जिनालय में आयोजित धर्मसभा में मुनि विजय ने कहा कि जीवन में भगवान के आदर्शों का पालन करना चाहिए।
संतोष से जीवन प्रसन्न
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने पर्युषण महापर्व के छठे दिन मंगलवार को कहा कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति मनचाहा व अनचाहा दोनों मिलता हैै। व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक हैै तो वह दोनों परिस्थितियों में खुश रहेगा। जो मिले उसे ही मनचाहा मान लेने की कला रखने वाला व्यक्ति जीवन में खुश रहता है।
महावीर का जीवन अलौकिक
जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ तीर्थ पर वर्षावास कर रहे आचार्य यशोभद्र सूरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व के छठे दिन कल्प सूत्र की प्रवचन धारा में भगवान महावीर को जो उपसर्ग हुए। उन सब का विस्तार किया। पर्यूषण पर्व के छठे दिन महावीर स्वामी के पाठशाला गमन का वर्णन भी किया। महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को सभी श्रावक-श्राविकाओं एवं बच्चों को रजिस्टर व पेन वितरित किए।
समझने की चीज है धर्म
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय ने पयुर्षण महापर्व के छठे दिन प्रवचन में भगवान महावीर स्वामी के जन्म से लेकर निर्वाण तक का हृदय स्पर्शी वर्णन किया। भगवान महावीर ने दीक्षा लेने से पहले एक वर्ष तक दान दिया था। रहस्य यह है कि भगवान दुनिया को समझाना चाहते थे। प्रन्यास प्रवर ने कल्प सूत्र आगम की बातों को वैज्ञानिक आधार के साथ समझाया।
भगवान महावीर की त्याग भावना अपनाएं
उदयपुर. मुनि शास्त्र तिलक विजय ने कहा कि भगवान महावीर ने संसारिक वस्तुओं का त्याग किया। जैन सन्यास अपनाया। हमें भगवान के किए गए त्याग की इच्छा नहीं रखनी चाहिए, अपितु भगवान ने जो अपनाया उसे अपनाने की इच्छा रखनी चाहिए। हिरण मगरी सेक्टर ४ स्थित जिनालय में आयोजित धर्मसभा में मुनि विजय ने कहा कि जीवन में भगवान के आदर्शों का पालन करना चाहिए।
संतोष से जीवन प्रसन्न
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने पर्युषण महापर्व के छठे दिन मंगलवार को कहा कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति मनचाहा व अनचाहा दोनों मिलता हैै। व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक हैै तो वह दोनों परिस्थितियों में खुश रहेगा। जो मिले उसे ही मनचाहा मान लेने की कला रखने वाला व्यक्ति जीवन में खुश रहता है।
महावीर का जीवन अलौकिक
जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ तीर्थ पर वर्षावास कर रहे आचार्य यशोभद्र सूरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व के छठे दिन कल्प सूत्र की प्रवचन धारा में भगवान महावीर को जो उपसर्ग हुए। उन सब का विस्तार किया। पर्यूषण पर्व के छठे दिन महावीर स्वामी के पाठशाला गमन का वर्णन भी किया। महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को सभी श्रावक-श्राविकाओं एवं बच्चों को रजिस्टर व पेन वितरित किए।
समझने की चीज है धर्म
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय ने पयुर्षण महापर्व के छठे दिन प्रवचन में भगवान महावीर स्वामी के जन्म से लेकर निर्वाण तक का हृदय स्पर्शी वर्णन किया। भगवान महावीर ने दीक्षा लेने से पहले एक वर्ष तक दान दिया था। रहस्य यह है कि भगवान दुनिया को समझाना चाहते थे। प्रन्यास प्रवर ने कल्प सूत्र आगम की बातों को वैज्ञानिक आधार के साथ समझाया।