सीएचसी मेनार में क्रमोन्नत होने के बाद लगातर स्टाफ की कमी रही है। अभी 3 डॉक्टर पर 3 नर्सिंग स्टाफ है। यहां 3 कर्मचारियों की कमी के चलते 24 घण्टे सुविधा नहीं मिल पाती है। ऐसे में रोगियों को भर्ती नहीं किया जाता। हाइवे का करीबी अस्पताल होने से यहां हर समय चिकित्सा सुविधाओं की जरुरत रहती है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते इलाज नहीं मिल पाता है। गायनिक, जनरल मेडिसन, जनरल सर्जरी, शिशु रोग कनिष्ठ विशेषज्ञ के सभी पद रिक्त हैं। एक्सरे मशीन, बैड, ऑपरेशन थियेटर, ईसीजी, सीबीसी मशीन आदि सुविधाओं का अभाव है।
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वित्तीय स्वीकृति का अभाव
वित्तीय स्वीकृति नहीं होने से जांच मशीनों का अभाव बना हुआ है। सुविधा नहीं मिल पाने से रोगियों को उपचार के लिए 50 किलोमीटर दूर उदयपुर ले जाना पड़ता है। सीएचसी में क्रमोन्नत होने के बावजूद वित्तीय स्वीकृति नहीं होने से यहां के प्रभारी को हर छोटे कार्य के लिए बीसीएमचो से अनुमति लेनी पड़ती है।
वित्तीय स्वीकृति का अभाव
वित्तीय स्वीकृति नहीं होने से जांच मशीनों का अभाव बना हुआ है। सुविधा नहीं मिल पाने से रोगियों को उपचार के लिए 50 किलोमीटर दूर उदयपुर ले जाना पड़ता है। सीएचसी में क्रमोन्नत होने के बावजूद वित्तीय स्वीकृति नहीं होने से यहां के प्रभारी को हर छोटे कार्य के लिए बीसीएमचो से अनुमति लेनी पड़ती है।
नकार पड़ी मशीन सेमी ऑटो एनालाइजर किट के अभाव में करीब ढाई लाख की लागत की मशीन तीन साल से धूल चाट रही है। ऐसे में शुगर, यूरिया, लीवर, संक्रमण, पीलिया आदि रोगों से संबंधित जांचें नहीं हो पा रही है।
प्रतिदिन 100 रोगी
यहां महीने में करीब 3 हजार मरीज आते हैं, वहीं स्पेशल मेडिकल ट्रीटमेंट वाले मरीजों की संख्या सालभर में 1800 के करीब है। महीनेभर में औसत 15 से 20 डिलीवरी होती है। सुविधाओं की कमी के चलते मरीज निजी चिकित्सालयों में जाने को मजबूर है।
प्रतिदिन 100 रोगी
यहां महीने में करीब 3 हजार मरीज आते हैं, वहीं स्पेशल मेडिकल ट्रीटमेंट वाले मरीजों की संख्या सालभर में 1800 के करीब है। महीनेभर में औसत 15 से 20 डिलीवरी होती है। सुविधाओं की कमी के चलते मरीज निजी चिकित्सालयों में जाने को मजबूर है।
हॉस्पिटल भवन का निर्माण दुबई के भामाशाह मगनमल जेठाचन्द पंचोलिया ने करवाया था। भामाशाह की बदौलत 1 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से भवन बना। यहां कंप्यूटर रूम, लेबर रूम, मुर्दाघर सहित भवन की सुविधाएं पर्याप्त है, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नहीं।
इनका कहना हाइवे पर होते हुए भी चिकित्सालय में सुविधाएं नाम मात्र की है। हाइवे से नजदीक होने की वजह से दुर्घटना के मामले अधिक आते हैं, लेकिन इलाज नहीं मिल पाता है। एक्सरे मशीन की आवश्यकता है। स्टाफ की कमी से मरीज परेशान है।
विजयलाल दावोत, सहयोगी, हॉस्पिटल निर्माण
विजयलाल दावोत, सहयोगी, हॉस्पिटल निर्माण
मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ गई है। नर्सिंग स्टाफ के 3 पद रिक्त हैं। एक्सरे मशीन और अन्य जांच स्तर की मशीनों का अभाव है। इसके बारे में हमने उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया है।
डॉ. अर्चना डोडियाल, चिकित्साधिकारी, सीएसची मेनार