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आज की सामाजिक व्यवस्थाओं पर गहरी चोट करता है ‘पागलखाना’….

locationउदयपुरPublished: Dec 04, 2018 12:46:16 pm

Submitted by:

Rakesh Rajdeep

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natyansh

आज की सामाजिक व्यवस्थाओं पर गहरी चोट करता है ‘पागलखाना’….

राकेश शर्मा राजदीप/उदयपुर. नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आट्र्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की चौथी और समापन संध्या पर नाटक ‘पागलखाना का मंचन हुआ। इससे पूर्व मंच के बाहर खुले प्रांगण में नाट्यांश कलाकार अमित श्रीमाली ने स्वलिखित व अभिनीत नाटक ‘पलायन’ के कुछ दृश्य प्रस्तुत कर के दर्शकों का मनोरंजन किया। इधर, अल्फाज-2018 में अशोक ‘अंचल’ द्वारा लिखित नाटक पागलखाना में कलाकारों ने समाज के मुख्य स्तंभों के प्रतीक नेता, व्यापारी, मीडिया, प्रशासन और आम जनता की पागलों से तुलना कर नाटक को दिलचस्प बनाया। इस नाटक में महिला किरदार सुरसतिया सभी किरदारों के दिमाग में चल रहे विचारों का केंद्र बनती है। अंतत: नाटक का मर्म निर्देशक के दो नए किरदार पगली राधा (एक किन्नर) और मुखबीर (घटनाओं का मूक गवाह) के इर्दगिर्द बुनता है। जो हमारे समाज की मानसिकता का आइना हैं।
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प्रस्तुति प्रबन्धक मोहम्मद रिजवान ने बताया कि नाटक के विभिन्न किरदारों में इंद्र सिंह सिसोदिया, चक्षु सिंह रूपावत, नेहा पुरोहित, अगस्त्य हार्दिक नागदा, मोहन शिवतारे, महेश जोशी, धर्मेंद्र टिलावत, राघव गुर्जरगौड़ और मनीषा शर्मा ने अपने अभिनय कौशल के दम पर दर्शकों का दिल जीत लिया। प्रकाश व्यवस्था और संचालन जिम्मा जयपुर से आए सहयोगी कलाकार शहजोर अली ने संभाला। समापन अवसर पर आईआईएम, वाराणसी के प्रोफेसर अरुण जैन, वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. लईक हुसैन, दीपक जोशी आदि ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।

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