कोटड़ा उपखंड मुख्यालय से 25 किमी दूर आदिवासी बहुल मामेर स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय को समय-समय पर क्रमोन्नत तो कर दिया गया लेकिन इसके जर्जर भवन को दुरुस्त करवाने में किसी ने रुचि नहीं दिखाई। दीवारों में दरारें, फर्श उखड़ा, टपकती छत एवं जंग खाकर टूटे दरवाजे वाले इस विद्यालय में 375 जनजाति बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें स्कूल में पीने को पानी तक नहीं मिलता। संस्था प्रधान अमरचंद पटेल का कहना है कि भवन के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव अधिकारियों ने बनाकर भेजा लेकिन राशि अब तक जारी नहीं हुई। बच्चे और शिक्षक बड़े मुश्किल हालात में समय बीताते हैं।
फलासिया पंचायत समिति के अमीवाडा ग्राम पंचायत के राजकीय प्राथमिक विद्यालय,वचलीकातर का भवन बरसों से जर्जर अवस्था में है। इसके 2 कमरों में 5 कक्षाएं चलती हैं जिसमें 71 बच्चे बड़ी मुश्किल से बैठते हैं। पंचायत ने कुछ वर्ष पूर्व मरम्मत करवाई लेकिन इसकी दशा सुधर नहीं पाई। बारिश के दिनों में बच्चे कभी बरामदे तो कभी कमरों में पढ़ते हैं। फलासिया क्षेत्र के सरादीत, गरणवास व निचली सिगरी सहित 7 गांवों में ऐसे ही जर्जर विद्यालय भवन हैं, जिनको दुरुस्त करवाने के लिए सिर्फ कागज दौड़ रहे हैं।
केस-03 : छत पर ढका तिरपाल
झाडोल क्षेत्र के राबाउमा विद्यालय की हालत बेहद खराब है। 15 में से केवल 4 कमरों की छत ही बरसात में नहीं टपकती है। अन्य कमरों की छतों को तिरपाल बिछा कर 650 बच्चियों को पढ़ाया जा रहा है। प्रार्थना सभागार का एक हिस्सा गिर चुका है। जर्जर सभागार के पास दो कमरों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। प्रधानाचार्य संतोष जैन ने बताया कि कमरों एंव सभागार की हालत बहुत ही खराब हैं, ये कभी भी गिर सकते हैं। ऐसे में शिक्षकों को आशंका रहती है।