सूटा अध्यक्ष डॉ देवेन्द्रसिंह राठौड़ ने बताया कि कई शिक्षकों को फोन कर रजिस्ट्रार ने परेशान करना शुरू कर दिया था। वे उनके डॉक्यूमेंट पूरे नहीं होने, गलत तरीके से नौकरी पाने के कारण उन्हें हटवाने जैसी धमकियां देने लगे थे। हमारे पास एक के बाद एक कई शिक्षकों के मामले सामने आते गए। लगातार स्थितियां शिक्षकों के खिलाफ बनने के कारण हमने कुलपति के समक्ष अपनी आवाज रखी थी कि इस पर निर्णय किया जाए। पूरे घटनाक्रम को लेकर कुलपति से कई बार सम्पर्क का प्रयास किया गया, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
यह भी है कारण
विवि में चर्चा है कि कई शिक्षकों का बड़ा राजनीतिक रसूख है। ऐसे में वे कुलपति पर दबाव बनाए गए थे कि शिक्षक भर्ती की जांच के गति पकडऩे से पहले किसी भी हाल में रजिस्ट्रार को हटाना होगा।
मुझे अब तक कोई आदेश नहीं मिला। सरकार के निर्देश पर कार्य करूंगा।
एचएस भाटी, रजिस्ट्रार, सुविवि
जब नौकरी पर आन पड़ी तो दौड़ पड़े
कई शिक्षक पूर्व कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी के कार्यकाल में लगे हैं, उनकी नौकरी खतरे में है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 100 पदों पर भर्ती हुई थी। चयन से वंचित अभ्यर्थियों ने भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत की थी, इस पर राज्यपाल की कमेटी ने अब जांच शुरू कर दी है। इसे लेकर विवि में चर्चा है कि रजिस्ट्रार भाटी के पास इन सभी शिक्षकों की फाइल है। ऐसे में शिक्षकों को नौकरी जाने तक का खतरा लग रहा है। वे खुद को बचने के लिए अब शिक्षक संगठनों की नाव के सहारे नैया पार लगाने में जुटे हैं। हालांकि कई शिक्षक पहले संगठनों का विरोध तक कर रहे थे, वे अब उसके बैनर तले आ गए हैं।