scriptVIDEO : अपने ही परिसर में बीमारी बांट रहा मेनार सामुदायिक केंद्र , खुले में वेस्ट फेंकने से बढ़ा संक्रमण का खतरा | Medical Waste Throws open in Menar CHC, Udaipur | Patrika News

VIDEO : अपने ही परिसर में बीमारी बांट रहा मेनार सामुदायिक केंद्र , खुले में वेस्ट फेंकने से बढ़ा संक्रमण का खतरा

locationउदयपुरPublished: Feb 19, 2019 02:02:03 pm

Submitted by:

madhulika singh

– कचरे में मिली शराब की बोतलें
– लापरवाही को लेकर खुद चिकित्सा विभाग नहीं दिखा संजीदा

medical waste

Pratapgarh Accident : 21 घायलों को लाया गया उदयपुर अस्‍पताल, दुल्‍हन का भी चल रहा उपचार, देखें वीडियो

उमेश मेनारिया/मेनार. स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से सरकारें जहां आमजन को गंदगी के प्रति जागरूक करने में कोई कमी नहीं छोड़ रही। वहीं बीमारियेां और संक्रमण से होने वाले नुकसान से अवगत चिकित्सा विभाग के नुमाइंदे खुद ही बायोवेस्ट को लेकर नासमझी कर रहे हैं। डाक बंगला, नेशनल हाइवे 76 से महज 5 सौ मीटर दूरी पर स्थित मगनमल जेठाचंद पंचोलिया सामुदायिक चिकित्सालय केंद्र मेनार के पीछे खुले में पसरे बायोवेस्ट को देखकर यह कहने में जरा भी संकोच नहीं होगा। खुले में बायोवेस्ट फेंककर चिकित्सालय के ओहदेदार जरा भी शर्मिंदा नहीं हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार खुले में बायोवेस्ट फेंकने का यह सिलसिला पिछले लंबे समय से जारी है। आलम यहां तक खराब हो चुके हैं कि विभागीय कारिंदे हकीकत को छिपाने के लिए इसे जलाने से भी परहेज नहीं कर रहे। दिखती हुई खामी को लेकर विभाग स्तर पर बायोवेस्ट को अलग से नष्ट करने के लिए कोई जतन नहीं हो रहा।
नाले से खेतों तक बायोवेस्ट

चिकित्सा कारिंदों की लापरवाही ही है कि खुले में निस्तारण किया जा रहा बायोवेेस्ट समीप स्थित नाले के माध्यम से स्थानीय खेतों में पहुंच रहा है। चिकित्सालय के बायोवेस्ट के साथ दवाइयां, तरल दवाइयां, इंजेक्शन व सीरिंज के अवशेष भी खुले में लापरवाही का शिकार हैं। खेतों में नंगे पैर काम करने वाले किसानों के लिए इस तरह का संक्रमण खुले में चुनौती दे रहा है। बरसात के दौरान नाले किनारे फेंके जाने वाले अवशेष सीधे खेतों में पहुंचते हैं।
मवेशियों व बच्चों में संक्रमण
जमीन में खुले में पड़ी गंदगी में आवारा मवेशी मुंह डालते हैं। श्वान, बकरी, गाय के अलावा रात के समय सूनसान इलाके में घूमने वाले सियार एवं अन्य पशु जाने-अनजाने कचरे में पड़ी सुइयों से संक्रमित हो रहे हैं। इसके अलावा सुइयों के अवशेष से उनके मुंह भी छिद रहे हैं। इसी तरह गंदगी बीनकर गुजारा करने वाले बच्चे भी गफलत में संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। असावधानी से बच्चों में एड्स, हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियों का भी डर बना हुआ है। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि अवशेष के साथ शराब की बोतलें भी मिली। आशंका जताई जा रही है कि चिकित्सालय परिसर में कर्मचारियों की ओर से शराब का सेवन किया जाता होगा।
READ MORE : Pratapgarh Accident : 21 घायलों को लाया गया उदयपुर अस्‍पताल, दुल्‍हन का भी चल रहा उपचार, देखें वीडियो

कहता है कायदा

कायदे से तो बायोवेस्ट का नियमानुसार डिस्पॉजल होना चाहिए। घरेलू कचरे की बजाय बायोवेस्ट को लेकर विशेष एहतियात बरता जाता है। बायोवेस्ट कायदों के तहत शरीर के अंग, खून, मवाद, दूषित रूई, पट्टी को पीले बॉक्स में एकत्र किया जाता है। इसी तरह ब्लड बैग, सीरिंज, आइवी सेट व ट्यूब को लाल और कांच बोतल, स्लाइड को नीले रंग की बाल्टी में रखने का प्रावधान है।
वैन नहीं आ रही
मेडिकल वेस्ट लेने वाली वैन नियमित नहीं आ रही। सीएमएचओ को सूचित भी कर चुके हैं। परिसर में खुले बायोवेस्ट की जानकारी नहीं है। बायोवेस्ट नियमों से संग्रहित करते हैं। खाली शराब की बोतलों का आइडिया नहीं है। पूरी जानकारी जुटाती हूं।
अर्चना डोडियाल, मुख्य चिकित्साधिकारी

गलत है तरीका
बायोवेस्ट का निस्तारण नियमों से होना चाहिए। सभी चिकित्सा केंद्रों पर रंग के हिसाब से बायोवेस्ट एकत्र करने की प्रक्रिया तय हैं। खुले में डाला गया बायोवेस्ट लापरवाही है। नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
डॉ. महेंद्र कुमार लौहार, ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, भींडर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो