scriptभगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया…ढोल-नगाड़ोंं के बीच धूमधाम से हुए आयोजनों में झूमे श्रद्धालु | Lord Mahavir's Kalyanak Mahotsav Celebrates At Udaipur | Patrika News

भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया…ढोल-नगाड़ोंं के बीच धूमधाम से हुए आयोजनों में झूमे श्रद्धालु

locationउदयपुरPublished: Sep 11, 2018 06:22:00 pm

Submitted by:

madhulika singh

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paryushan

भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया…ढोल-नगाड़ोंं के बीच धूमधाम से हुए आयोजनों में झूमे श्रद्धालु

उदयपुर. जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज ने सोमवार को भगवान महावीर स्वामी का जन्म वाचन दिवस धूमधाम से मनाया। भगवान को पालने में विराजमान करते ही चहुुं ओर श्रावक-श्राविकाओं ने अक्षत वर्षा की। कुमकुम का तिलक व छापे लगाकर गोला व मिश्री खिलाई। गले लगकर सभी ने आपस में भगवान की जयंती पर शुभकामनाएं दी। ढोल नगाड़ों की गूंज पर समाजजन झूम उठा। जैन श्वेताम्बर महासभा मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि पर्युषण के पांचवे दिन भगवान की जयंती का विशेष आयोजन हुआ। ओसवाल बड़े साजन सभा के अध्यक्ष किरणमल सावनसुखा ने दीवान की बोली ली। जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के मालदास स्ट्रीट अराधना भवन में पन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय जी के निश्रा में माता त्रिशला को आए चौदह ही स्वप्नों का धूमधाम से प्रदर्शन हुआ और उनके चढ़ावे हुए। श्री संघ के अध्यक्ष डॉ शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि प्रन्यास प्रवर के श्रीमुख से भगवान का जन्म वाचन की जैसे ही घोषणा हुई तो पूरा अराधना भवन में मौजूद श्रावक-श्राविकाएं झूम उठे।
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वाणी में अमृत और विष
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने सोमवार को पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन कहा कि हमारे जीवन में सकारात्मक भाव लाने का हेतु बने। कर्म निजरा एवं धर्म आराधना मानव जीवन में ही संभव है। वाणी में अमृत एवं विष दोनों है। हमारा वाणी व्यवहार हमेशा प्रिय एवं संतुलित रहना चाहिए।
भगवान महावीर का हुआ जन्मवांचन
मुनि शास्त्रतिलक विजय की निश्रा में जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समिति के तत्वावधान में हिरणमगरी से. 4 स्थित जिनालय में पर्युषण पर्व के छठें दिन भगवान महावीर के जन्म का वांचन किया गया। भगवान महावीर जब माता त्रिशला के गर्भ में आए तो 14 स्वप्नों की बोलियांं बोली गई और 14 स्वप्न उतारने का कार्यक्रम हुआ। इसका लाभ सुशील एवं सरला बांठिया परिवार ने लिया।



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