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हाइकोर्ट के आदेशों की उड़ाई धज्जियां, कमेटी की ढिलाई से किसी भी विभाग ने कुछ नहीं किया काम

locationउदयपुरPublished: Jul 21, 2019 03:49:52 pm

Submitted by:

madhulika singh

हाइकोर्ट (High Court) के आदेश को जिला प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है, इसका उदाहरण झीलों की दशा सुधारने के लिए गठित निगरानी कमेटी की कार्य प्रणाली है। इस कमेटी ने न्यायालय के आदेश की पालना में 17 माह में सिर्फ एक बैठक की जबकि सुधारात्मक काम कर हर तीन माह में रिपोर्ट बनानी थी।

laziness of committee

हाइकोर्ट के आदेशों की उड़ाई धज्जियां, कमेटी की ढिलाई से किसी भी विभाग ने कुछ नहीं किया काम

उदयपुर. हाइकोर्ट के आदेश को जिला प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है, इसका उदाहरण झीलों की दशा सुधारने के लिए गठित निगरानी कमेटी की कार्य प्रणाली है। इस कमेटी ने न्यायालय के आदेश की पालना में 17 माह में सिर्फ एक बैठक की जबकि सुधारात्मक काम कर हर तीन माह में रिपोर्ट बनानी थी। पहली बैठक में कमेटी ने फतहसागर बांध की क्षमता की जांच, झीलों की साफ-सफाई सहित कई ऐसे आदेश संबंधित विभागों को पारित कर पालना रिपोर्ट मांगी थी लेकिन कमेटी के गंभीर नहीं होने से किसी भी विभाग ने कोई काम नहीं किया। न तो फतहसागर बांध की मजबूती की जांच हुई और ना ही होटलों के ट्रीटमेंट प्लांट को सुधारा गया। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदाजोग व रामचन्द्र सिंह झाला की खंडपीठ ने 2 फरवरी 2018 को झीलों की निगरानी के लिए एक सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में यूआईटी सचिव, नगर निगम आयुक्त, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी के अलाव तीन सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता, अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल तथा संचित पुरोहित को शामिल किया गया था। आदेश के बाद इस टीम ने सिर्फ एक बैठक कर सभी विभागों को झीलों के संबंध में आदेश दिए थे लेकिन बाद में बैठक नहीं होने से पालना रिपोर्ट तक हवाई हो गई।
कमेटी ने स्वत: कोई संज्ञान नहीं लिया
उच्च न्यायालय के आदेश की पालना नहीं होने पर अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने जिला कलक्टर व नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखा है। खंडेलवाल ने झीलों की दुर्दशा पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इस स्थिति में तत्काल सुधार की आवश्यकता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने कमेटी के गठन के साथ ही हर तीन माह में बैठक करना तय किया लेकिन 13 माह में किसी तरह की कोई बैठक नहीं हुई। प्रतिदिन झीलों की दुर्दशा को लेकर समाचार पत्रों में फोटो प्रकाशित हो रहे है। इसके बावजूद कमेटी ने अपने स्तर पर कोई संज्ञान आज तक नहीं लिया।
इन आदेश को करनी थी पालना
फतहसागर झील के बांध की मजबूती की जांच
झीलों में गंदगी करने, नहाने, कपड़े धोने, कचरा या भराव डालने वालों पर कार्रवाई
झीलों के आसपास होटल व्यावसायिक संस्थान सीवरेज व गंदगी नहीं डालने बाबत शपथ पत्र
शहर में आवारा पशुओं को रोकने डेयरी संचालकों को शहर से स्थानांतरित की कार्रवाई
फतहसागर, स्वरूपसागर तथा अन्य जगह लगी बंशियों को की रिपेयरिंग
विभूति पार्क पर मूर्तियां लगाने की अनुमति से पहले आपत्तिकर्ताओं की सुनवाई व निराकरण
नंदीशाला के लिए आंवटित 42 बीघा जमीन की प्रगति रिपोर्ट

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