पगडंडी और ऊबड़खाबड़ रास्ते, वाहन नहीं मिले तो पैदल सफर:कोटड़ा क्षेत्र के राजस्व गांव लोहारी, आबा, बेड़ाधर, सूरा, मणासी, आबा गांव ऐसे है। जहां पक्की सड़कें तक नही है। इन गांवो में बड़ी मुश्किल से एक दो जीप चलती है। वह भी सवारियों से ओवरलोड होती है। समय पर वह भी नही मिली तो नदी नालों, पगडंडी और उबड़खाबड़ रास्तों से होते हुए 20 से 25 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना होता है।
चिकित्सा सुविधा या उपचार के लिए गुजरात जाना मजबूरी
नजदीकी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने से यहां के ग्रामीणों की बारिश के मौसम में समस्याएं और भी गंभीर हो जाती हैं। उल्टी दस्त, बुखार या गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय खाट या झोली में डालकर मुयसडक तक लाया जाता है। उबड़खाबड़ रास्ता या पहाड़ियों में पैदल चलने के दौरान समय अधिक लग जाने से यहां की दर्जनों गर्भवती महिलाओं ने जान की कीमत चुकाई हैं। पहाड़ी इलाकों में काम नहीं मिलने से जीविकोपार्जन के लिए इन गांवो से हजारों की संया में लोग परिवार सहित गुजरात के नजदीकी शहरों में पलायन कर जाते है। जहां यह लोग खेतीबाड़ी और मजदूरी का काम करते है।
वन विभाग की आपत्ति से नहीं मिल पा रही सुविधा
उदयपुर जिले से 175 किलोमीटर दूर कोटड़ा उपखंड क्षेत्र की बेड़ाधर ग्राम पंचायत गुजरात सीमा से सटी हुई होने के साथ ही यहां फुलवारी की नाल वन क्षेत्र है। यहां पर वन विभाग की आपत्तियों के चलते ग्रामीणों को बिजली,सड़क,पुलिया निर्माण के कार्य नही हों पाए। साथ ही सरकार की तरफ से आवागमन के कोई साधन उपलब्ध नहीं है।