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उदयपुर जिले के हजारों स्कूल अंधेरे में, बच्चों को पानी तक नसीब नहीं…य​हां जानिए सरकारी स्कूलों की हकीकत

locationउदयपुरPublished: Jul 10, 2018 05:02:16 pm

Submitted by:

madhulika singh

पानी-बिजली को तरसती सरकारी पाठशाला तो कैसे करेंगे निजी स्कूलों की बराबरी

school in udaipur

उदयपुर जिले के हजारों स्कूल अंधेरे में, बच्चों को पानी तक नसीब नहीं…य​हां जानिए सरकारी स्कूलों की हकीकत

उदयपुर. जिले की पाठशालाएं कागजों में भले ही निजी स्कूलों की होड़ की दौड़ लगा ले, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है, इसलिए कि अब भी जिले के हजारों स्कूल अंधेरे में है, तो 76 स्कूल के बच्चों को पानी तक नसीब नहीं है। आरटीई कानून लागू हुए 9 वर्ष हो गए, लेकिन अब तक हमारी शिक्षा इन असुविधाओं के गहरे गड्ढे से बाहर नहीं आई। प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर के जिले के कुल 3839 स्कूलों में से 2381 स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं हैं। बच्चे आज भी गर्मी में तपते हुए पढ़ रहे हैं। तेज बारिश के समय अंधियारी कक्षा में आंखे बिगाड़ रहे हैं।
ये है हाल-
जिले में कुल 2348 प्राथमिक स्कूलों में से 2231 में बिजली नहीं है। 972 में परकोटा नहीं, तो 54 स्कूलों में पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं है। – जिले में कुल 781 उच्च प्राथमिक स्कूलों में से 118 में बिजली नहीं, जबकि 4 में पानी नहीं। 64 में परकोटा नहीं। – जिले में कुल 710 माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्कूलों में से 32 में बिजली नहीं, तो 18 में पानी की उपलब्धता नहीं। 56 में परकोटा नहीं।
सुरक्षा ताक पर: जिले में आज भी 1092 स्कूल ऐसे हैं, जिनकी सुरक्षा दीवार नहीं है, जबकि इनमें से करीब 30 प्रतिशत स्कूलों के द्वार सीधे मुख्य सडक़ या व्यस्त मार्ग पर खुलते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा ताक पर है।
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लगातार प्रयास किया जा रहा है, कि स्कूलों की दशा सुधरे। हम मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सुविधाओं के लिए समय समय पर अधिकारियों का ध्यान भी आकषित किया जा रहा है।
नरेश डांगी, डीईओ माध्यमिक प्रथम
प्राथमिक स्कूलों में बजट का अभाव है। पहले एसएसए में राशि आई थी। स्कूलों में पैसा दिया गया। कुछ पैसा टीएलएम में आ रहा है। स्वच्छता और रमसा में राशि आती थी, अब पैसा ही नहीं आता है। ऐसे में सुविधाओं को कैसे बेहतर किया जा सकता है। अब राशि दिल्ली यू डाइस से मिलती है। जनप्रतिनिधि भी स्कूलों में राशि देने में रुचि नहीं लेते, ऐसे में उपेक्षा रहती है।
आरके गर्ग, डीईओ प्रारंभिक प्रथम
नए स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। गर्मी के कारण पानी की कमी हो सकती है। खेल मैदानों के लिए प्रपोजल बनने के बाद कई स्कूलों में समतलीकरण शुरू हो चुका है। कलक्टर भी पूरा सहयोग कर रहे हैं।
सुशीला नागौरी, डीईओ माध्यमिक द्वितीय
मैंने अधिकारियों को इन सुविधाओं के लिए पूछा है, लेकिन बताते ही नहीं है। बाद में वहां की समस्याएं सामने आती है, अधिकारियों को चाहिए कि वे इसे लेकर गंभीर रहें। हीरालाल दरांगी, विधायक, झाड़ोल

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