जिले में कुल 2348 प्राथमिक स्कूलों में से 2231 में बिजली नहीं है। 972 में परकोटा नहीं, तो 54 स्कूलों में पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं है। – जिले में कुल 781 उच्च प्राथमिक स्कूलों में से 118 में बिजली नहीं, जबकि 4 में पानी नहीं। 64 में परकोटा नहीं। – जिले में कुल 710 माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्कूलों में से 32 में बिजली नहीं, तो 18 में पानी की उपलब्धता नहीं। 56 में परकोटा नहीं।
सुरक्षा ताक पर: जिले में आज भी 1092 स्कूल ऐसे हैं, जिनकी सुरक्षा दीवार नहीं है, जबकि इनमें से करीब 30 प्रतिशत स्कूलों के द्वार सीधे मुख्य सडक़ या व्यस्त मार्ग पर खुलते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा ताक पर है।
नरेश डांगी, डीईओ माध्यमिक प्रथम
प्राथमिक स्कूलों में बजट का अभाव है। पहले एसएसए में राशि आई थी। स्कूलों में पैसा दिया गया। कुछ पैसा टीएलएम में आ रहा है। स्वच्छता और रमसा में राशि आती थी, अब पैसा ही नहीं आता है। ऐसे में सुविधाओं को कैसे बेहतर किया जा सकता है। अब राशि दिल्ली यू डाइस से मिलती है। जनप्रतिनिधि भी स्कूलों में राशि देने में रुचि नहीं लेते, ऐसे में उपेक्षा रहती है।
आरके गर्ग, डीईओ प्रारंभिक प्रथम
नए स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। गर्मी के कारण पानी की कमी हो सकती है। खेल मैदानों के लिए प्रपोजल बनने के बाद कई स्कूलों में समतलीकरण शुरू हो चुका है। कलक्टर भी पूरा सहयोग कर रहे हैं।
सुशीला नागौरी, डीईओ माध्यमिक द्वितीय
मैंने अधिकारियों को इन सुविधाओं के लिए पूछा है, लेकिन बताते ही नहीं है। बाद में वहां की समस्याएं सामने आती है, अधिकारियों को चाहिए कि वे इसे लेकर गंभीर रहें। हीरालाल दरांगी, विधायक, झाड़ोल