उदयपुर. स्थानीय विद्यालय सेन्ट एॅन्थोनीज़ सीनियर सेकण्डरी स्कूल गोवर्धनविलास में राजस्थान के समस्त स्कूल संगठनों के प्रदेशाध्यक्षों, उनके प्रतिनिधियों एवं मुख्य जिला स्तरीय संगठन ( Main district level organization ) के पदाधिकारियों की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2019 दो दिवसीय शिक्षा संगीति का आयोजन हुआ। अध्यक्षता वीनेश शर्मा नागौर ने की । आज मुख्य वार्ता राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( National
Education policy ) पर व्यापक चर्चा की गई। इसमें अलवर के सुभाष गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2019 का जो ड्राफ्ट आउट ( Draft Out ) जारी किया गया है। उसमें सरकारी विद्यालयों की तरह एसएमसी (
smc news ) का गठन होगा। स्पष्ट है कि किस सरकार निजी विद्यालयों को अधीनस्थ करने के प्रयास हो रहे हैं। ऐसा ही करना है तो सरकारी व निजी विद्यार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं में भेदभाव क्यों होता है । उन्होंने बताया कि बोर्ड ऑफ एसेसमेंट ( Board of assessment ) में 5 करोड़ आने वालों को 2 प्रतिशत टैक्स देना होगा । इसके तहत 75 प्रतिशत स्वयं को लगाना होगा। इसका सीधा अर्थ है कि केन्द्र सरकार निजी स्कूलों को कॉरपोरेट घरानों को देना चाहती ह। निजी स्कूलों को मान्यता (
Recognition of Private schools ) देने का अधिकार दिया गया है, जिसमें मात्र दो-तीन बरसों तक मान्यता प्रदान जाएगी। कारण कि नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत निजी स्कूलों को कम्पनी एक्ट के तहत लाया जा रहा है। इसमें निजी स्कलों को कम्पनी मानते हुए उन्हें मान्यता के बजाय लाइसेंस (
License ) देने का प्रस्ताव है । इसमें अन्य स्कूलों को मर्ज किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के हिसाब से फीस का निर्धारण होगा। आरटीई एक्ट के नियम 12(1) ब के बंद किया जाएगा। इसके लिए अलग से नियम बनाये जायेगे जिसके अन्र्तगत उच्च शिक्षा की शैक्षिक, स्वतंत्रता एवं रिसर्च आदि की मान्यता निरस्त की जाएगी सुधीर विशिष्ठ के अनुसार शिक्षा पर पूर्व में हस्तक्षेप नहीं था । लेकिन अब शासन का शिक्षा में अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ा कॉरपोरेट के माध्यम से शिक्षा को नेस्तनाबूद किया। नरेन्द्र अवस्थी ने बताया कि बोर्ड की तरह परीक्षा होगी जिसमें सेमिस्टर प्रणाली से परिक्षाएं आयोजित होगी । बस्तों का बोझ कम किया जाएगा। अध्यापक का निश्चित वेतन देना होगा। 2022 तक स्थायी शिक्षक को हटाने का कारण बताना होगा। निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, कोषाधिकारी, कोड़ाराम भादू, बीके दीक्षित, किशन मिश्रल, भगवान स्वरूप शर्मा अलवर, कृष्ण गोपाल पारासर, कृष्ण कुमार शर्मा, के. एन. भाटी, मुकेश वैष्णव, भूपेन्द्र रावत, ओमप्रकाश शर्मा, रतन सिंह पिलानिया, डी. के. गुप्ता, शांतिलाल जैन, तरूण त्रिवेदी, ख्यालीराम साहू, शैलेश भादामी, डॉ. उपेन्द्र रावल एवं अन्य मौजूद थे।