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लकवा का अटैक आने पर चार घंटे महत्वपूर्ण

locationउदयपुरPublished: Oct 30, 2018 02:33:52 am

Submitted by:

Manish Kumar Joshi

विश्व लकवा दिवस पर राष्ट्रीय कार्यशाला: न्यूरो का इलाज दवा व अध्यात्म से संभव, रोगियों का निशुल्क परामर्श एवं किया उपचार

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लकवा का अटैक आने पर चार घंटे महत्वपूर्ण

उदयपुर. स्ट्रॉक आने और लकवा का अटैक होने पर मरीज को अगर साढे चार घंटे के भीतर अस्पताल लाया जाए तो उसे एक दवा (इंजेक्शन) के माध्यम से उसे ठीक किया जा सकता है।
उक्त विचार सोमवार को राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के संघटक फिजियोथैरेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से विश्व लकवा दिवस पर ‘लकवे के कारण एवं उपचार एवं रोकथाम पर’विषयक पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. त्रिलोचन श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने कहा कि ठीक से नींद नहीं आना कई बीमारियों की वजह हो सकती है। आमतौर पर यह बीमारी रात को काम करने वाले लोगों एवं चालकों में पाई जाती है। नींद के भी चार स्टेज होते हैं। जब तक आदमी चारों स्टेज पर जाकर नींद पूरी नही करता, तब तक नींद पूरी नही होती है। विशिष्ट अतिथि एम्स नई दिल्ली के डॉ. प्रभात रंजन ने कहा कि न्यूरो सम्बंधित रोग का इलाज दवा व अध्यात्म के समन्वय से संभव हो सकता हैं। हिमाचल प्रदेश के डॉ.विश्वजीत सिंह त्रिवेदी ने कहा कि दिमाग का दल से सीधा सम्बंध है इससे लकवा का सबसे कारण उच्च रक्तचाप है। उन्होंने कहा कि यह बीमारी चुपके से आती है। शुरुआत में लक्षण का पता नहीं चलता। इस कारण लकवा को साइलेंट किलर कहा जाता है। जागरूकता के अभाव में लोग भी बिमारी को नजर अंदाज करते है।
सुभार्थी विवि मेरठ के प्राचार्य डॉ. राज कुमार मीणा ने कहा कि वर्तमान में विश्व में लकवा तीसरे नम्बर पर सर्वाधिक लोगों को ग्रसित करता है। यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों से अधिक होती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें लकवा की परेशानी है। जागरूकता के अभाव में हर साल पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने एक दिवसीय कार्यशाला की जानकारी देते हुए अतिथियों का स्वागत किया।
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