दिन में कई बार अघोषित कटौती होती है, वहीं कई बार रात-रातभर अंधेरे में गुजरती है। आमजन इंजीनियरों को सूचित करते रहते हैं, लेकिन समाधान नहीं होता। कर्मचारियों की लचर कार्यप्रणाली के चलते विद्युत व्यवस्था बदहाल है। पिछले एक माह से तो लूणदा व इसके आसपास के करीब 40-50 गांवों में बिजली व्यवस्था इतनी बदहाल है कि बिजली आधारित काम चौपट ही हो गए। लूणदा फीडर की बिजली शनिवार को दिनभर में कई बार बिजली बंद होने के बाद रात 12 बजे फिर बंद हुई, जो रविवार सुबह 10.30 बजे बहाल हुई। इसके बाद दिनभर में 10-15 बार बिजली की लुकाछीपी चलती रही। इस सम्बन्ध में कर्मचारियों से जवाब मांगा तो फील्ड और पावर हाउस के कर्मचारी एक दूसरे पर डालते रहे, लेकिन संतुष्टिप्रद जवाब नहीं दिया।
पहले बेहतर थी व्यवस्था इन गांवों में पहले कानोड़ से विद्युत आपूर्ति होती थी। फिर जसवन्तपुरा, धाकड़ों का खेड़ा में जीएसएस बने, कानोड़ में सहायक अभियंता कार्यालय खुला, लेकिन हालात नहीं सुधरे। ग्रामीणों का कहना है पहले कानोड़ से ही बेहतर बिजली आपूर्ति होती थी, जबकि अब हालात विकट हैं।
आयोजनों में रुकावट
बीते 10 दिनों से गणपति महोत्सव और दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण पर्व के खूब आयोजन हो रहे हैं। बिजली बंद रहते धार्मिक आयोजनों में काफी रुकावट आ रही है। READ MORE : उचक्के महिला को घर से घसीटते हुए अंधेरे में ले गए और लूट लिए डेढ़ लाख के जेवर..
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इनका कहना बिजली समस्या को लेकर मेरे पास किसी का फोन नहीं आया। कनिष्ठ अभियंता से बात करो। अधिकृत रूप से मेरा जवाब चाहिए तो कार्यालय आना पड़ेगा।
भास्कर रेगर, एइएन, कानोड़
मैंने लाइनमैन को कह दिया है। फॉल्ट निकालकर लाइन चालू करवाते हैं।
अमित खण्डेलवाल, जेइन, कानोड़
समस्या की जानकारी आज ही मिली। जिम्मेदार अधिकारियों को गैर जिम्म्ेदाराना जवाब देने के बजाय व्यवस्था सुधारने लिए पाबन्द कर दिया है।
रणधीरसिंह भीण्डर, विधायक, वल्लभनगर
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