पहले की तरह नहीं चलेगा मनमर्जी
हॉस्पिटल अब तक मर्जी से बायोमेडिकल वेस्ट को प्लान्ट पर भेजते थे। अब ऐसा नहीं चलेगा। प्रतिदिन का डाटा ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में दर्ज होगा। यदि कोई क्लीनिक या हॉस्पिटल प्लांट से नहीं जुड़ा है तो उनके रजिस्ट्रेशन पर गाज गिरेगी, वहीं संचालक को सजा हो सकती है। उदयपुर जिले में कई छोटे क्लीनिक अभी तक प्लांट से नहीं जुड़े हैं ताकि उनका पैसा नहीं बिगड़े। साथ ही अब कोई क्लीनिक किसी बड़े हॉस्पिटल को अपना बायो मेडिकल वेस्ट नहीं भेज सकेगा, उसे स्वयं ही प्लांट से जुडऩा होगा।
हॉस्पिटल अब तक मर्जी से बायोमेडिकल वेस्ट को प्लान्ट पर भेजते थे। अब ऐसा नहीं चलेगा। प्रतिदिन का डाटा ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में दर्ज होगा। यदि कोई क्लीनिक या हॉस्पिटल प्लांट से नहीं जुड़ा है तो उनके रजिस्ट्रेशन पर गाज गिरेगी, वहीं संचालक को सजा हो सकती है। उदयपुर जिले में कई छोटे क्लीनिक अभी तक प्लांट से नहीं जुड़े हैं ताकि उनका पैसा नहीं बिगड़े। साथ ही अब कोई क्लीनिक किसी बड़े हॉस्पिटल को अपना बायो मेडिकल वेस्ट नहीं भेज सकेगा, उसे स्वयं ही प्लांट से जुडऩा होगा।
बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा लगातार बढऩे से इसके निस्तारण के नियम कड़े किए जा रहे हैं। नए नियमों में बारकोड के साथ ही भार दर्ज होगा ताकि कहीं कोई गड़बड़ नहीं हो। हर हॉस्पिटल का प्लांट से जुडऩा अनिवार्य होगा। हम भी इसकी तैयारी में जुट गए हैं। – जैनिम पटेल, निदेशक, एनविजन कंपनी, बायोवेस्ट प्लान्ट उदयपुर
नए नियम से बढ़ी सख्ती
बायोमेडिकल वेस्ट रूल्स में 1998, 2002, 2006, 2008, 2011-12 में संशोधन हुए हैं। केन्द्र सरकार अब बायोमेडिकल वेस्ट रूल्स-2016 लेकर आई है। पॉलिथीन पर लगने वाले बारकोड को स्कैन करते ही उस हॉस्पिटल की जानकारी सामने आ जाएगी। संबंधित कंपनी अपने स्तर पर थैलियों पर बारकोड चस्पा करेगी या हॉस्पिटल को देगी ताकि वह इसका नियमित उपयोग कर सके। बगैर बारकोड वाली थैली प्लान्ट पर नहीं जा सकेगी।