हे भगवान बारिश में यहां किसी की मौत नहीं हो, यहां का हर व्यक्ति करता है यही दुआ
उदयपुरPublished: Aug 24, 2019 06:37:51 pm
खरका गांव के श्मशान घाट की बदहाली- 2014 में टूटा अभी तक नहीं बना
हे भगवान बारिश में यहां किसी की मौत नहीं हो, यहां का हर व्यक्ति करता है यही दुआ
शंकर पटेल/ गींंगला. हे भगवान बारिश में यहां किसी की की मौत नहीं हो तो अच्छा होगा लेकिन होनी को कोन टाल सके। ये बाते खरका वासियों के जबान पर है क्योंकि यहां नदी किनारे बने श्मशान घाट की बदहाली पर कहते नजर आते है। कुछ ऐसा ही उदयपुर जिले के सलूम्बर ब्लॉक के खरका गांव में एक समाजसेवी की मौत होने पर उसके अंतिम संस्कार के लिये शवयात्रा निकली तो ग्रामीणों को खूब पीडा हुई। शव को लेकर परिजन, रिश्तेदार और ग्रामीण शवयात्रा में शामिल हुये लेकिन आगे अंतिम मोक्ष मार्ग का अता था न पता। ऐसे में आनन फानन में वैकल्पिक मार्ग बनवाया और अंतिम घाट तक पहुचे तो वहां भी कोई व्यवस्थाएं नहीं जिससे शव व दागिये भीगने लगे तो अन्य व्यवस्थाएं करनी पडी। ऐसी दुर्दशा को देख हर किसी को अखरा। बाद में जैसे तैसे करके भीगती फूंहारो में ग्रामीणों के स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्थाएं कर करोसिन आदि डाल कर शव को जलाने की अंतिम क्रिया पूरी की और कोसते हुये घर लौटे। 2014 में टूटा श्मशान घाट और टीनशेड- ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष जुलाई 2014 में गोमती नदी में तेज पानी की आवक के दौरान नदी किनारे बना श्मशान घाट और टीनशेड बह गये तथा लोहे के एंगल भी झूक कर क्षतिग्रस्त हो गये। जो तक उसी हालत में है। उनको फिर से खडे करने की जहमत तक किसी ने नहीं की। न उसका पुर्ननिर्माण हुआ। यहां न रास्ता है और न ही स्नान घाट और न टीनशेड ऐसे में शव और दागियों की दुर्गति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में मूल स्थान से दूर दाह संस्कार किया गया। इस संबंध में पंचायत प्रशासन जहां जमीन आवंटित नहीं होना बताती है वहीं राजस्व विभाग श्मशान घाट के नाम जमीन होना बता रहा है। तब सरपंच गंगाराम मीणा ने कहा कि अगर जमीन श्मशान घाट के नाम है तो शीघ्र ही प्रस्ताव बनाकर भिजवाया जाएगा। लेकिन ग्रामीणों के आरोप हैं कि फिर पंचायत गुमराह क्यों कर रही है तथा 5 साल बाद भी श्मशान घाट की सुध क्यों नहीं ली युवाओं में जबरदस्त आक्रोश है।