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सरकार बदलते ही अधिकारियों ने निगरानी से फेरी आंखें, स्कूलों में दूध हुआ बेस्वाद

locationउदयपुरPublished: Apr 26, 2019 12:43:11 pm

Submitted by:

Chandan

अन्नपूर्णा दूध वितरण योजना

चन्दनसिंह देवड़ा/उदयपुर . प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही वसुंधरा सरकार में सरकारी स्कूलों में शुरू की गई अन्नपूर्णा दूध वितरण योजना की निगरानी से अधिकारियों ने आंखें फेर ली है। सभी सीबीईओ को प्रति माह 20 स्कूलों में जाकर दूध की गुणवत्ता की जांच करनी होती है लेकिन पिछले दो माह में अधिकारियों ने स्कूलों में दूध की जांच करने की फुर्सत ही नहीं निकाली।
तबादलों के बाद जिले के अधिकांश ब्लॉक में शिक्षा अधिकारी बदल गए हैं। स्कूलों में भी लेक्टोमीटर रखे हुए हैं लेकिन वे धूल फांक रहे हैं। एसएमसी के सदस्यों को भी समय-समय पर स्कूल में जाकर बच्चों को पिलाए जा रहे दूध की जांच करने का अधिकार है लेकिन वे खानापूर्ति कर रहे हैं। जिले में हर माह साढ़े चार करोड़ रुपए सरकारी स्कूलों के बच्चों को दूध पिलाने पर खर्च हो रहा है।
नजर हटी तो पानी मिलते देर नहीं
कुछ जागरूक अभिभावकों ने पत्रिका को बताया कि स्कूल में पिलाए जा रहे दूध में पानी ज्यादा दिखने लगा है जिससे वह स्वादिष्ट नहीं लगता। निगरानी के अभाव में दूध में पानी मिलाया जा रहा है।
जिले में दूध वितरण का ब्योरा
कुल स्कूल- 3 हजार 908
कुल विद्यार्थी- 3 लाख 79 हजार 465
प्रतिदिन दूध की खपत- 48 हजार लीटर
मासिक खर्च- 4 करोड़ 50 लाख


बीईओ का पद अब सीबीईओ हो गया। ऐसे में उन्हें स्कूलों में जाकर दूध की गुणवत्ता का निरीक्षण करना चाहिए। संबंधित पीईओ को भी दो माह में अपने क्षेत्र के सभी स्कूलों का निरीक्षण करना अनिवार्य है। – शिवजी गौड़, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी उदयपुर
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