इसलिए आई यह नौबत उपभोक्ता भंडार पर पेंशनर्स को डायरी प्रस्तुत करने पर औषधियां मिलती हैं, वहीं सरकारी कर्मचारियों को इलाज का बिल प्रस्तुत करने पर दवाइयों की राशि का पुनर्भरण होता है। कई लोग दुर्लभ जड़ी-बूटियों और सोने-चांदी आदि धातुओं की भस्मों से बनी इन महंगी दवाओं को आयुर्वेदाचार्यों से पर्ची पर लिखवाने के बाद इनके बजाय कॉस्मेटिक एवं घरेलू उपयोग का सामान ले लेते थे। सरकार को जब इसकी भनक लगी तो उसने धीरे-धीरे कर कई दवाइयों को नि:शुल्क एवं पुनर्भरण के दायरे से बाहर कर दिया गया।
—– ये औषधियां अब सूची से बाहर
स्वर्ण भस्म, रसराज रस, वृतवात चिन्तामणि, च्यवनप्राश, द्राक्षासव, द्राक्षारिष्ठ, द्राक्षावलेह, सोनवसनमालती में से अधिकतर दवाइयां महंगी है। इनकी कीमत प्रति ग्राम ६०० से लेकर १२०० रुपए है। एेसी करीब ४० औषधियां अब पुनर्भरण के दायरे से बाहर है। इन दवाओं का उपयोग जोड़ों का दर्द, कमजोर याददाश्त को दूर करने, लकवा समाप्त करने, बुजुर्गों को होने वाली शारीरिक परेशानियां दूर, आयु वृद्धि करने, बुद्धिमत्ता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
—– दवाआें की संख्या तो बढ़ी पर उपलब्ध नहीं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में नि:शुल्क दवा योजना या पुनर्भरण योजना में कुल ११० प्रकार की दवाइयां उपलब्ध थी, जिन्हें बढ़ाकर ४९८ कर दिया गया है। इसमें से १८ सिंगल ड्रग्स व ३६ पेटेंट मेडिसिन यानी बड़ी कंपनियों की महती दवाइयां भी शामिल हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर दवाएं बाजार में उपलब्ध नहीं है। नई दवाओं में स्वासकास चिन्तामणि, वातकूलान्तकरस, रसकपूर व पंचामृत वटी जैसी औषधियां शामिल हो चुकी हैं। अधिकांश दवाइयां हर्बल हैं। उपभोक्ता भंडार पर दवा उपलब्ध नहीं होने पर एनएसी यानी नो अवेलेबल सर्टिफिकेट दे सकता है जिसके माध्यम से मरीज सरकारी कार्मिक या पेंशनर बाहर से भी दवाइयां ले सकता है।
—– लोगों ने पुनर्भरण के दायरे में आने वाली दवाओं के नाम पर गलत लाभ लेना शुरू कर दिया था, इसलिए सरकार महंगी दवाओं को बंद करती गई। कुछ लोगों की गलतियों का कई लोगों को नुकसान हो रहा है, जबकि दस हजार तक की दवाएं लेने की तो किसी को भी छूट थी। नई दवाइयों में से कई दवाइयां स्टोर में फिलहाल नहीं है।
डॉ शोभालाल, वरिष्ठ आयुर्वेद अधिकारी