पुल का आकार धनुष-बाण की तरह है। यह पुल करीब डेढ़ साल में बनकर तैयार हुआ है। खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है।पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम रखी गई है। वन विभाग और पर्यटन विभाग की ओर से कराए जा रहे इस ग्लास ब्रिज की कुल लागत 3.7 करोड़ रुपये है। पुल का निर्माण बिहार के राजगीर में बने स्काई वॉक ग्लास ब्रिज की तर्ज पर किया गया है।
पर्यटक अब आसमान से जल प्रपात की सुंदरता को निहारेंगे।शीशे के पुल पर सैलानी खुद को हवा में तैरते हुए महसूस करेंगे। यहां आने वाले हर पर्यटक को एक खास अनुभव प्राप्त होगा। यह ग्लास ब्रिज मध्य प्रदेश के सतना जिले के बॉर्डर पर स्थित रानीपुर टाइगर रिजर्व के बीच टिकरिया, बम्भिया जंगल पर स्थित है। ऋषि सरभंगा आश्रम से निकली जलधारा और गतिहा नाले की त्रिवेणी से तुलसी जलप्रपात आकार लेता है। जब लोग स्काई वॉक पर चलेंगे तो उनके कदमों के नीच चट्टानों पर पानी गिरने और जंगल का प्राकृतिक नजारा मन मोह लेगा।