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video: भक्ति से सराबोर हुआ-सुदर्शनोदय तीर्थ, पंच कल्याणक महोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक महोत्सव में उमड़े श्रद्धालु

locationटोंकPublished: Feb 17, 2019 05:04:55 pm

Submitted by:

pawan sharma

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video: भक्ति से सराबोर हुआ-सुदर्शनोदय तीर्थ, पंच कल्याणक महोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक महोत्सव में उमड़े श्रद्धालु

आवां. मुनि पुंगव 108 सुधासागर, मुनि महासागर, मुनि निष्कंप सागर, क्षुल्लक धैर्य सागर ससंघ के सान्निध्य में कस्बे के सुदर्शनोदय तीर्थ अन्तरराष्ट्रीय पंच कल्याणक महोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक महोत्सव में श्रद्धालु उमड़ पड़े। ज्ञान और तप के साथ धर्म और देश-भक्ति से अतिशय क्षेत्र सराबोर हो गया।
तप कल्याणक की महिमा को उजागर करने के लिए मंगल प्रवचन, जिज्ञासा समाधान और कलाकारों के सजीव मंचन ने प्रेरणा के मंत्र फूंके। पंचकल्याणक में माता-पिता बनने का पुण्र्याजक आवां निवासी छीतर मल और छान्या बाई हरसौरा ने भी इसमें प्रभावी भूमिका निभाई।
आशीष शास्त्री और चन्द्र प्रकाश हरसोरा ने बताया कि सुदर्शनोदय तीर्थ पर दोपहर में मंगलाष्टक, आदि कुमार का विवाह एवं राज्याभिषेक, भेंट समर्पण, राज्य संचालन और षट कर्म उपदेश में धर्म की गहराई समझाई गई।
इसके बाद हुए दण्ड व्यवस्था, ब्राह्मी- सुन्दरी को विद्या दान, नीलांजला नृत्य, युवराज आदि कुमार का वैराग्य के कार्यक्रम ने दर्शकों को धर्म की बारीकियां बताई गई।भरत बाहुबली को राज्य सौंपना, पालकी में आरूढ़ होकर दीक्षा वन की ओर प्रस्थान के मंचन ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
दीक्षा विधि, अंकन्यास, संस्कारोपण और पूजन ने तप कल्याणक का महातम्य समझाया। शाम को आचार्य भक्ति के साथ जिज्ञासा समाधान, आरती और शास्त्र प्रवचन में श्रद्धालुओं ने धर्म लाभ कमाया। पंचकयाणक में नित्य चल रहे इन आयोजनों में तीर्थ पर आस्था, विश्वास और श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है।
इस अवसर पर तीर्थ पर बनने वाले 24 मंदिरों के पुण्र्याजक, नन्दीश्वर दीप मंदिर,समवशरण और सहस्त्रकूट मंदिर के साथ सिंह द्वार, विद्यालय भवन, आहार निलय, पूजन कक्ष, भोजन और भोजन शाला कक्ष, कार्यालय कक्ष निर्माण कराने वाले पुण्र्याजकों सहित अन्य दानदाताओं का सकल दिगम्बर जैन धर्मप्रभावना समिति, सुदर्शनोदय महिला मण्डल, सुदर्शनोदय युवा मण्डल और सकल जैन समाज आवां की ओर से अभिनन्दन किया जा रहा है।

शहीदों को किया याद
धर्म शास्त्रों में नारी के मां के रूप में महिमा गाई गई है। सन्तान के जन्म के बारे मेंकहा है कि वो भक्त, दाता जने या ऐसा सूरवीर जने जो मातृभूमि के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगा दे। मुनि सुधासागर ने आवां तीर्थ पर तप कल्याणक महोत्सव पर पुलवामा में शहीदों के बलिदान को याद करते हुए सन्तान में अच्छे संस्कार देने पर प्रवचन दिए।

मुनि ने प्रवचनों में नवपीढ़ी को निखारने का संदेश दिया। अभाव में रहकर भी उसकी पढ़ाई में बहुत कुछ खर्च किया है, तो उसके आगे बढऩे की सम्भावनाएं बलवती हो जाती है।

आतंकी हमले में जवानों को अचानक मौत की नींद सोने का गौरवपूर्ण प्रसंग सुनाकर मुनि ने चैताया कि यमराज आने का कोई मुहुर्त नहीं है और मृत्यु का कोई संकेत नहीं है। जन्म का पता कर सकते है पर मौत कब, कहां व कैसे आएगी कोई नहीं जानताï? इसी प्रकार मोक्ष और वैराग्य का समय भी तय नहीं है।

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