लगभग 80 किलो के दड़े रूपी फुटबाल विगत कई वर्षों से गोल पोस्ट रूपी कोई दरवाजा भेद नहीं सकने के कारण मध्यम साल रहने के संकेत मिल रहे थे, जिससे लोगों के उत्साह में कमी आ रही थी।
इस बार सुकाल और अच्छे समय की खबर से लोगों मे खुशी की लहर छा गई। हालाकि इस बार भी कड़ी मशक्कत के बावजूद लगभग दो घंटे तक दड़ा गोपाल चौक के इर्द-गिर्द ही लुडक़ता रहा।
अन्तिम क्षणों मे आवां के दक्षिण भाग वालों ने उत्तरी भाग के खिलाडिय़ों को शिकस्त देते हुए दड़े को दूनी दरवाजे रूपी गोल पोस्ट पार करवाकर लड्डूजी की बावड़ी में डाल दिया। दिलों की दूरियां मिटाकर रिश्तों में प्यार और मिठास घोलने वाला दड़ा महोत्सव आवां में परम्परागत रीति से मनाया गया।
दड़ा महोत्सव में लगभग तीन घंटे तक ग्रामीण सभ्यता व संस्कृति की महक उड़ती रही। आवां में मकर सक्रांति को सुबह से ही बारहपुरों सहित निकट के कई गावों के ग्रामीणों का सैलाब उमडऩा शुरू हो गया।
गौपाल चौक तक पंहुचने वाले सभी रास्ते भीड़ से ठसाठस हो रहे थे। राजस्थानी लिबास में लिपटे महिला और पुरुषों के समूहों का जोश परवान पर था।इसके बाद दौर शुरू हुआ इन जवानों का दड़े पर जोर आजमाइश का।
गढ़ पैलेस में एक दिन पानी में भीगो कर और वजनी बनाए दड़े को दोपहर साढ़े बारह बजे जैसे ही खेलने के लिए गौपाल चौक में रखा गया आवां सहित बारहपुरों के नौजवान ऐसे पिल पड़े।
लगभग तीन घंटे चले खेल में कभी दड़ा इधर लुढक़ा तो कभी उधर। मन्दिर, स्कूल और मकानों की छतों से खेल देख रही युवतियों के इशारे और ताने उनका हौंसला अफ्जाई करते नजर आई।
निखरा गौपाल-चौक, माहौल हुआ रंगीन
दोपहर में आवां सहित बारहपुरों के लोग खेल शुरू होते ही दो खेमों में बंट गए। दूनी दरवाजे और अखनियां दरवाजे की ओर से आने वाले खिलाड़ी विपरीत दिशा में गोल दागने को पूरी ताकत से दड़े पर इस कदर पिल पड़े कि पसीने से तरबतर होने के साथ बदन के कपड़े भी तार-तार होते नजर आए।
दोपहर में आवां सहित बारहपुरों के लोग खेल शुरू होते ही दो खेमों में बंट गए। दूनी दरवाजे और अखनियां दरवाजे की ओर से आने वाले खिलाड़ी विपरीत दिशा में गोल दागने को पूरी ताकत से दड़े पर इस कदर पिल पड़े कि पसीने से तरबतर होने के साथ बदन के कपड़े भी तार-तार होते नजर आए।
छतों रूपी दर्शक दीर्घा में ग्रामीण परिधानों में सजी-धजी युवतियां आंखों और हाथों के ईशारों से तो कभी शब्द रूपी बाणों से जवानों की बहादुरी की दाद देती और फब्तियां कसती नजर आ रही थी। अस्सी किलो की फुटबाल पर सात हजार खिलाड़ी की जोर अजमाइश का नजारा बड़ा दिलकश हो रहा था।
खलने लगी कमी
गोविन्द नारायण स्वर्णकार, पे्रमशंकर सोमानी, कृष्ण गोपाल, ़ राधेश्याम, जगदीश जांगिड़ और बुद्धि प्रकाश साहु ने बताया दड़ा महोत्सव में श्री गोपाल मण्डल, श्री शिव शंकर मण्डल और शिव सत्संग स्थानीय मण्डल की ओर से तीन दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की परम्परा चली आ रही थी।
कठाड़े की सर्दी के बावजूद हजारों की तादात इनके नाटकों का लुफ्त उठाने देर रात तक जमी रहती थी। रंग मंच की कमी आवां सहित बारहपुरों को खल रही है। हालांकि 15 जनवरी को श्री सरदार सिंह माध्यमिक विद्यालय में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन यथावत चल रहा है।
पूर्व मंत्री सैनी ने भी दिखाया दम-खम
क्षेत्रीय लोगों का मांग पर पर पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी भी अपने को रोक नहीं पाए और दम-खम दिखाने को मैदान मे उतर गए, जिससे लोगों में जोश भर गया। इस अवसर पर सैनी ने खेल मे लोगों का साथ देते हुए मेल-मिलाप भी किया।
क्षेत्रीय लोगों का मांग पर पर पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी भी अपने को रोक नहीं पाए और दम-खम दिखाने को मैदान मे उतर गए, जिससे लोगों में जोश भर गया। इस अवसर पर सैनी ने खेल मे लोगों का साथ देते हुए मेल-मिलाप भी किया।