नौनिहालों को इतनी ऊंचाइयां छुनी चाहिए कि परिवारजनों को उन पर नाज हो। मुनि पुंगव सुधासागर ने आवां स्थित जैन तीर्थ सुदर्शनोदय अतिशय क्षेत्र पर श्रावकों की जिज्ञासा समाधान करते हुए परिवार में अच्छे संस्कारों के बीजारोपण के उपाय सुझाए।
मुनि ने कहा कि हम ज्येष्ठों और अग्रजों का सम्मान करेंगे तो आने वाली पीढ़ी भी उसका अनुसरण करेगी। बालकों को सदाचरण का पाठ पढ़ाते हुए मुनि ने समझाया कि कभी ऐसा कृत्य मत करो, जिससे अपने बड़ों को पीड़ा हो आघात लगे।
सन्तान को सदैव ऐसी राह पर चलना चाहिए, जिसे देख अभिभावक फूले न समाए, गर्व से छाती फूल जाए। इस अवसर पर मुनि ने परिवार में सात्विक वातावरण बनाने के गुर बताते हुए शाकाहार की महत्ता भी समझाई।
अङ्क्षहसा का बोध कराते हुए जीव हत्या के दोष भी बताए। आशीष शास्त्री और चन्द्रप्रकाश हरसोरा ने बताया कि सर्वाधिक ऊर्जा के केन्द्र बने सुदर्शनोदय तीर्थ के साथ मुनि पुंगव 108 सुधासागर, मुनि महासागर, मुनि निष्कंप सागर, क्षुल्लक धैर्य सागर व क्षुल्लक गम्भीर सागर के दर्शनो एवं इनका आशीर्वाद लेने के लिए हर-दिन श्रद्धालु उमड़ रहे है।
मुनि संघ के सान्निध्य में भगवान के नित्य अभिषेक, शान्ति-धारा, आहार-चर्या, मंगल-प्रवचन और जिज्ञासा समाधान मे देश-भर के पूण्र्याजक धर्म-लाभ कमा रहे हंै। सकल दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के नेमीचन्द जैन ने बताया कि समवशरण जिनालय, सहस्त्रकूट जिनालय और नन्दीश्वर जिनालय के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 13 से 18 फरवरी तक होगा।
इसके लिए कार्य-योजना बनाकर दायित्व सौंपे गए हंै। आशीष जैन, भागचन्द जैन,कमलेश जैन और श्रवण कोठारी ने बताया कि तीर्थ क्षेत्र पर रविवार 20 जनवरी को मुनि पुंगव 108 सुधासागर, मुनि महासागर, मुनि निष्कंप सागर, क्षुल्लक धैर्य सागर व क्षुल्लक गम्भीर सागर की पिछिका परिवर्तन आयोजन की भी रूपरेखा बनाकर आवश्यक तैयारियां की जा रही है।