read more: चार वर्षीय मासूम के साथ किया था अनैतिक कार्य, अब भुगतेगा 20 वर्ष का कठोर कारावास ऐसे हाल में चिकित्साकर्मी रोगियों को भर्ती करने तथा महिलाओं के प्रसव कराने में कतराते हैं। चिकित्साकर्मी मात्र चिकित्सालय पहुंचने वाले रोगियों को परामर्श देकर नि:शुल्क दवा देते हुए अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। चिकित्सालय के जीर्णोद्धार को लेकर कई बार सीएमएचओ टोंक को स्थानीय चिकित्सा प्रभारी ने पत्र भेजकर अवगत कराया, लेकिन अनदेखी के चलते जर्जर भवन में ही चिकित्सा व्यवस्था चलाना उनकी मजबूरी बनी हुई है।
read more:निवाई के माशी बांध की 8 वर्ष बाद चली चादर, ग्रामीणों ने गुड बांटकर खुशियां मनाई चिकित्सालय भवन की मरम्मत का कार्य शीघ्र नहीं किया गया तो कभी भी यहां बहुत हादसा घटित हो सकता है। मारे भय के चिकित्सा कर्मी वार्ड, कमरों में तो बैठते ही नहीं है, बल्कि चिकित्सालय के बाहर हाल में बैठकर रोगियों की देखभाल करते हैं। छतों से पानी टपकने के कारण उपचार संबंधी दवाइयां बेकार होती है, वहीं उपकरण जंग खा रहे हैं।
read more:45 दिन में सवा लाख मेहमान आएंगे स्वर्णनगरी ,80 करोड़ का होगा पर्यटन व्यवसाय 35 वर्ष पुराना हैं भवनकठमाणा निवासी रामजीलाल यादव ने बताया 35 वर्षों पहले यहां उपस्वास्थ्य केंद्र को क्रमोन्नत करके प्राथमिक चिकित्सालय सृजित किया गया था, साथ ही सरकार ने 22 लाख रुपए की लागत से चिकित्सालय का भवन रोगियों को भर्ती करने, व्यवस्थित उपचार करने, दवाओं के रखरखाव को लेकर बनाया गया था। वर्तमान में भवन पूरी तरह से जर्जरावस्था में हैं तथा यहां छतें टपकती हैं, जिससे मरीजों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।
इनका कहना है
भवन कई वर्षों पुराना हैं, बारिश ज्यादा होने से छत से पानी टपक रहा हैं। बचने को लेकर प्लास्टिक का तिरपाल छत पर लगा रखा हैं। इससे अभी तक दवा, टीकाकरण कक्ष सुरक्षित हैं। तेज बारिश के समय परेशानी होती हैं। भवन की जर्जरावस्था को लेकर उच्च अधिकारियो को अवगत करवाा हुआ हैं।
डॉक्टर पुखराज पहाडिय़ा, चिकित्सा प्रभारी, राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कठमाणा
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