कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भक्तिरस में डूब कर आनंद दिया। सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा भक्ति ज्ञानयज्ञ महोत्सव की पुर्णाहुति पर श्रद्धालुओं ने आरती की। इससे पूर्व भागवत कथा की पुर्णाहुति पर हवनादि के कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
व्यासपीठ पर विराजित कथा वाचक आचार्य गोस्वामी श्री गौपाल भैया श्रीवृंदावन धाम अपनी पीयूषमयी वाणी से श्रीमद्भागवत कथा पुराण की पुर्णाहुति पर कहा कि आज भले ही कथा का अंतिम दिन हैं लेकिन वास्तविकता मे धर्म की कोई भी कथा कभी समाप्त नही होती। कथा विराम लेती है और फिर से शुरू होती है।
श्रीमद भागवत •था श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकर नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य •था श्रवण से जाग्रत हो जाता है।
•था कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अ_ारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें की की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है।
इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है। इस मौके पर कथा सुनने के लिए सैकड़ो कही संख्या में महिला पुरुष भक्त उमडे और भगवान केंभजनों पर नाचते हुए आनंद लिया।