script

माता-पिता निर्दयी, प्रशासन ने भी दिखाई बेरूखी, सुबह से शाम तक भटकता रहा मासूम

locationटोंकPublished: Jul 22, 2019 04:09:19 pm

Submitted by:

jalaluddin khan

Tonk News एक मां ने मासूम को छोडकऱ दूसरी शादी कर ली। इसके बाद पिता के पास रह रहे मासूम पर परिवार का कहर टूट पड़ा। ताई ने मारा-पीटा और घर से निकाल दिया।

from-morning-to-evening-wandering-was-innocent

माता-पिता निर्दयी, प्रशासन ने भी दिखाई बेरूखी, सुबह से शाम तक भटकता रहा मासूम

टोंक. बच्चे की चाह में माता-पिता हर प्रकार की मन्नतें करते हैं और जिगर के टुकड़े के खरोंच भी आ जाए तो वे पिघल जाते हैं, लेकिन टोंक में एक मां ने मासूम को छोडकऱ दूसरी शादी कर ली। इसके बाद पिता के पास रहे मासूम पर परिवार का कहर टूट पड़ा। ताई ने मारा-पीटा और घर से निकाल दिया।
दूसरा कहर उस मासूम पर तब टूटा जब जिम्मेदार अधिकारियों ने उसे पनाह देने के बजाए सडक़ पर छोड़ दिया। गनीमत रही कि दिल में इंसानियत लिए थड़ी-ठेले वालों ने उस मासूम को सहारा दिया और खाना खिलाया। दिनभर दिलासा देकर अपने पास रखा।
read more: जोधपुरिया लक्खी मेले में होगा राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह, ऑनलाइन आवेदनों के लिए पोर्टल शुरू

शाम को जब अधिकारियों तक बात पहुंची तो सरकारी संस्थान में उस मासूम को सहारा मिला। ये मासूम टोंक में गहलोत के समीप नदी किनारे की बस्ती में रहना वाल 11 साल का विकास है। अपनी पीड़ा बयां कर बार-बार रो रहे विकास ने बताया कि उसकी मां ने दो साल पहले दूसरी शादी कर ली।
इसके बाद पिता नंदकिशोर उसे टोंक में बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर गए। करीब एक महीने पहले पिता का दिल पिघला और विकास को घर ले गया, लेकिन वहां ताई और अन्य का सितम मासूम विकास पर ढाया जाने लगा। शनिवार सुबह जब विकास कुएं के समीप बैठा तो ताई ने उसे पीटा।
read more:मालपुरा में कावड़ यात्रा को लेकर पुलिस अधीक्षक ने ली अधिकारियों की बैठक

रोते-रोते विकास ने वजह जाननी चाही तो ताई ने घर से निकल जाने को कह दिया। पिता नंदकिशोर भी अपनी भाभी के आगे बेबश हो गए। ऐसे में शनिवार सुबह 7 बजे विकास घर से पैदल ही टोंक शहर की ओर निकल पड़ा।
उसे टोंक में और कोई नहीं वही आसरा नजर आया जहां उसके पिता ने पहले उसे छोड़ा था। ऐसे में सुबह 8 बजे विकास बाल कल्याण समिति पहुंचा। समिति में मौजूद अन्य बच्चों की मदद से विकास अंदर तो पहुंचा, लेकिन उसे अधिकारियों ने ये कहकर बाहर निकाल दिया कि उसे रखने कोई कागजी कार्रवाई नहीं है।
ऐसे में उसे बाल कल्याण समिति से बाहर निकाल दिया। इसके चलते भूखा-प्यासा विकास बाहर सडक़ किनारे फुटपाथ पर बैठ गया। सुबह करीब 10 बजे आस-पास ठेले पर चाय व नाश्ते की दुकान करने वालों को उस पर तरस आया। चाय की दुकान करने वाली बूढ़ी औरत ने उसे खाना खिलाया और अपने पास बैठा लिया।
इसके बाद आस-पास के ठेले वालों ने उसे पानी-पताशी खिलाई और कुछ नाश्ता भी कराया। रात 8 बजे जब सब लोग घर जाने लगे तो उन्हें विकास का ध्यान आया। बाल कल्याण समिति के समीप ही खलील क्लब में आए कुछ लोगों से उन्होंने गुहार की और विकास को बाल कल्याण समिति में दाखिल करने को कहा। इसके बाद बाल कल्याण समिति के निर्देश पर गृह के अधीक्षक ने विकास को रात 8 बजे अंदर प्रवेश दिया।

नहीं रही कोई संजीदगी
मासूमों के लिए यूं तो सरकार कई योजनाएं बना रही है, लेकिन ये योजनाएं अधिकारी-कर्मचारियों के लापरवाही की वजह से सही प्रकार से क्रियांवित नहीं हो पाती है। इसका उदाहरण टोंक में विकास के मामले को लेकर देखने को मिला। हालांकि समिति अधीक्षक चाहते तो 11 साल के मासूम को कागजी कार्रवाई होने तक रख सकते थे, लेकिन उन्होंने मामले में घोर लापरवाही बरती।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के मामले में जिले के अधिकारियों में कोई संजीदगी नहीं है। जबकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में बच्चों की शिक्षा और उनके विकास को लेकर तरह-तरह की योजनाएं संचालित हो रही है। इसके बावजूद अनदेखी बरती गई।

ट्रेंडिंग वीडियो