यह है मामला
सीआईएसएफ ने भरतपुर हाउस के चारों ओर की जमीन को लेकर वर्ष 2010 में अपर जिला न्यायधीश टोंक में अपील की थी। इसमें अपील संख्या 27/10 के अनुसार न्यायालय ने 19 मई 2010 को निर्णय दिया। आदेश में कहा कि भरतपुर हाउस अतिविशिष्ट लोगों के ठहरने का भवन है। इस भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण व विक्रय प्रतिबंधित है। वहीं उक्त भूमि नगर पालिका देवली की नहीं है।
ऐसे में पालिका को उक्त भूमि पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद नगर पालिका ने उक्त जमीन पर टैक्सी स्टैण्ड बना दिया। वहीं पालिका ने गत दिनों उक्त जमीन पर सब्जी मण्डी बनाने का बोर्ड में प्रस्ताव भी ले लिया तथा इसकी क्रियान्वति शुरू कर दी। सीआईएसएफ का आरोप है कि पालिका मनमर्जी कर रही है।
यंू हुआ टकरावन्यायालय के आदेश के आधार पर सीआईएसएफ ने गत 14 अप्रेल को जमीन पर सफाई कर पौधारोपण करने का
काम शुरू किया, लेकिन नगर पालिका के कर्मचारियों ने यहां पहुंचकर हस्तक्षेप किया। कर्मचारियों ने बल के जवानों व अधिकारियों को पौधारोपण नहीं करने व मामला दर्ज कराने की चेतावनी दी। इस सम्बन्ध में सीआईएसएफ ने गत 7 अप्रेल को नगर पालिका प्रशासन को लीगल नोटिस जारी किया।
इधर, नगर पालिका कर्मचारियों के रवैये के बाद बल के डीआईजी एस. के. मल्लिक ने हनुमाननगर थाने में शिकायत देकर कर्मचारियों द्वारा कानून व्यवस्था को भंग करने की शिकायत दी। सीआईएसएफ ने आरोप लगाया कि न्यायालय के निर्णयानुसार जमीन नगर पालिका स्वामित्व की नहीं है।
इसका कोई रिकॉर्ड पालिका प्रस्तुत नहीं कर पाई। न्यायालय ने यह स्पष्ट कहा कि उक्त भवन अतिविशिष्ट व्यक्तियों के ठहरने का भवन है। यहां निर्माण व विक्रय प्रतिबंधित है। इस पर भी पालिका ने मण्डी बनाने के लिए प्रस्ताव लिया है।
न्यायालय ने आदेश दिया कि, उक्त जमीन पालिका की नहीं है। वहीं यह वीआईपी क्षेत्र होने के चलते यहां निर्माण व विक्रय प्रतिबंधित करार दिया गया। उक्त सभी दस्तावेज सीआईएसएफ के पास है। पालिका अपनी मनमर्जी कर रही है। बल की ओर से कानून व्यवस्था बिगडऩे को लेकर हनुमाननगर पुलिस को लिखित शिकायत दी गई।
एस. के. मल्लिक, डीआईजी, सीआईएसएफ, देवली
मुझे अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन न्यायालय के वर्ष 2010 के निर्णय से पहले दो बार के निर्णय पालिका के पक्ष में हुए थे। किन्हीं कारणों से इस निर्णय के खिलाफ पालिका प्रशासन अपील नहीं कर सकी, लेकिन समूचे प्रकरण के अध्ययन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। सीआईएसएफ के पास भी कोई दस्तावेज नहीं है।
भगवतसिंह परमार, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका, देवली