चल रही चर्चाएं: दो दिन के भीतर पार्षदों के इस तरह बदलने के बाद हर जगह तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही है। पूरे कलेक्ट्रेट में ही इस ड्रामा को लेकर लोग चर्चा करते दिखाई दिए। दो पार्षदों द्वारा रीकॉल से खुद को ूदूर करने के बाद समझा जा रहा है कि यह प्रक्रिया अब यही खत्म हो जाएगी। क्यों कि अध्यक्ष के रीकॉल के लिए तीन-चौथाई पार्षदों का होना जरूरी है। नपा में जहां 27 पार्षद है, वहीं अध्यक्ष को मिलाकर कुल 28 वोट होते है। इसमें अध्यक्ष को रीकॉल करने के लिए 21 पार्षदों का होना आवश्यक है, लेकिन बुधवार को 2 पार्षदों को खुद को इससे अलग करने पर अब रिकॉल संभव होता नही दिखाई दे रहा है।
की जाएंगी जांच: वहीं इस मामले में कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का कहना था कि उनके पास अभी इन पार्षदों के इस प्रकार के शपथ-पत्र नही आए है। यदि वह दे गए है तो इनका भी सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद ही कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।
7 दिन से चल रहा ड्रामा: नगर पालिका का यह ड्रामा पिछले 7 दिनों से चल रहा है। 14 फरवरी को नगर पालिका का सामान्य सम्मेलन होने पर इसका सभी पार्षदों ने विरोध किया था। सम्मेलन में उपस्थित लगभग 21 पार्षदों में से 20 ने यहा पर जमकर विरोध किया था और बजट सहित एक भी प्रस्ताव पास नही हो सका था। इसके बाद सभी पार्षदों ने नपाध्यक्ष के लिए खिलाफ अविश्वास जाहिर किया था।
कहते है अधिकारी: अभी इन पार्षदों के शपथ पत्र मेरे संज्ञान में नही आए है। यदि ऐसे शपथ पत्र दिए है तो उनका भी सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।- सौरभ कुमार सुमन, कलेक्टर।