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रोजगार है गांव का सबसें बड़ा मुद्दा, सबसे ज्यादा लोग मजदूरी से करते है जीवन यापन

locationटीकमगढ़Published: Nov 19, 2018 08:36:49 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

जिन लोगों को सुविधाओं से दूर रखा गया था विधानसभा चुनाव आते ही अपने आप अब वह याद आने लगे है। वोटरों के पास सुबह शाम मत करने के साथ योजनाओं को देने की बात की जा रही है।

People do not know what is cashless, do not know how to withdraw money from ATMs

People do not know what is cashless, do not know how to withdraw money from ATMs

टीकमगढ़.जिन लोगों को सुविधाओं से दूर रखा गया था विधानसभा चुनाव आते ही अपने आप अब वह याद आने लगे है। वोटरों के पास सुबह शाम मत करने के साथ योजनाओं को देने की बात की जा रही है। लेकिन वह वोटर उन प्रत्याशियों और जनप्रतिनिधियों से उद्योग ध्ंाधा स्थापित करने की बात क र रहे है। इसके बाद उनक ी दूसरी मांग पानी, बिजली और मकान। हम बात कर रहे है पृथ्वीपुर विधानसभा की मडिया ग्राम पंयायत के गतारा खिरक की। जहां २० परिवार से अधिक पन्नी की झुग्गी बनाकर परिवार के साथ रहने को मजबूर है। सिर ढकने के लिए आवास दिए गए थे। जिनकी आधी किश्त ही मिली है। अब उसका काम सालों से अटका हुआ है। गतारा खिरक में उजाला हो, उसके लिए बिजली नहीं है। पीने के लिए साफ पानी मिले। उसकी कोई व्यवस्था नहीं है। एक दशक से ग्राम पंचायत, लोकसभा और विधानसभा में एक ही मांग की गई। लेकिन अब आपकी बारी है। यह कहकर जनप्रतिनिधियों ने सालों गुजार दी है। अब विधानसभा चुनाव आ गया है। फिर से योजनाओं के तहत कार्य करने की बात प्रत्याशियों और पार्टी के जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार की जा रही है। इसके साथ ही कैशलेस के लिए जीरो बैंलेंस पर बैंकों में खातों को खुलवा दिया गया। लेकिन अंगूठा लगाकर आज भी बैंक से पैसे निकलवाते है।
नहीं समझ पाए कैशलेस
कैशलेस के लिए प्रशासन और प्रदेश सरकार द्वारा कई संगोष्ठियों के साथ प्रदर्शनियां लगाई गई। जीरों से गांव के प्रत्येक व्यक्तियों के बैकों में खातों को खुलवाया गया। जिससे ज्यादा से ज्यादा आबादी खरीदी के साथ अन्य सुविधाओं को ले सके। उसके बाद भी आज 60 प्रतिशत से अधिक लोग कैशलेस की परिभाषा से अनभिज्ञ है। गांव वाले रोज के लिए पेट्रोल पम्प, होटल, प्राईवेट दुकानों, मीलो, बेलदारी, ढाबों और मजदूरी पर ही निर्भर है। जीरों पर बैकों में खाता खुलवाकर एटीएम तो दे दिए। लेकिन कैसे उपयोग करें इसकी जानकारी नहीं है। प्रशासन ने गांवों को हाईटेक बनाने की कोशिश में लगा है। लेकिन यहां ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के मिलने की राह देख रहा है। पृथ्वीपुर विधानसभा की ग्राम पंचायत मडिया के गतारा खिरक निवासियों को पेट पालने का जरिया मजदूरी है।
२० परिवार ही करते है निवास
गतारा खिरक में लोघडिया २0 परिवारों में २५० लोग और १५० वोटर निवास करते है। हम लोगों का परम्परागत कार्य खेती से संबंधित लोहे के औजार बनाना है। लेकिन अब यह कार्य फेल हो गया है। जिसके कारण परिवार चलाने में परेशानी होती है। बच्चों की पढाई के फीस, रहने और उनके लालन पालन के लिए खर्चा आज कल निकल नहीं रहा है। ग्राम पंचायत में काम मिलता नहीं है। उद्योग धंधे भी नहीं है। जिससे परिवार का भरण पोषण करने के लिए काम कर सके।
लक्ष्मी लोघडिया गतारा खिरक।

नहीं आता एटीएम चलाना
ग्रामीणों ने बताया कि एटीएम चलाना नहीं आता है। परिवार के सदस्य मजदूरी करते है। अंगूठा लगाकर ही पावती ले जाकर ही बैंक से रुपए निकालते है।
दरयब लोघडिया गतारा खिरक।
बेरोजगारी बहुत है
गांव में वैसे तो कोई समस्या नहीं है। बस बेरोजगारी बहुत है। जिससे हर वर्ष परेशान है। मजदूरी के लिए यहां वहां भटकना रहता है। रोजगार मिले ऐसी कोई योजना नहीं है। बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कोई काम धंधा शुरू होना चाहिए। आर्थिक रूप से कई परिवार कमजोर है। 12 घंटे मेहनत मजदूरी करके काम चलता है। यदि कोई उद्योग लगता है तो अच्छा परिवार चल सकता है।
हिम्मत लोघडिया गतारा खिरक।
इनका कहना
ग्राम पंचायत के गतारा खिरक में निवास करने वाले लोगों के लिए आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है। चुनाव बाद प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।पानी और बिजली के साथ अन्य सुविधाओं को दिया जाएगा। इसके साथ ही कै शलेस सुविधा की भी जानकारी दी जा रही है।
जगदीश विश्वकर्मा सचिव ग्राम पंचायत मडिया।
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