scriptक्यों नही रूक रही नवजात की मौत-छतरपुर में सबसे अधिक मौत | navjato ki mout ke mamle mekon hai behter | Patrika News

क्यों नही रूक रही नवजात की मौत-छतरपुर में सबसे अधिक मौत

locationटीकमगढ़Published: Jun 13, 2019 09:02:58 pm

Submitted by:

vivek gupta

भोपाल में केवल १ नवजात की मौत की जानकारी आंकडो पर ही सवालिया निशान लगा रही है।

navjat

navjat

टीकमगढ़..प्रदेश में नवजातों की प्रसव के दौरान कम समय और संक्रमण के कारण होने वाली मौतो को रोकने के लिए प्रदेश में बनाई गई नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई सफल होती नजर आ रही है। प्रदेश में २०११ से अस्तित्व में आने के बाद विभाग के द्वारा शिशु मृत्यु दर में कमी आने का दावा किया जा रहा है।
संभाग के आंकडो पर नजर डाली जाए तो नवजातो का इलाज तो किया जा रहा है लेकिन उन्हें दी जाने वाली सुविधाओ में लापरवाही की जा रही है। आलम यह है कि संभागीय मुख्यालय में ही एसएनसीयू नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में डिस्चार्ज के बाद १८ नवजातो की मौत पिछले वर्ष हुई है।
छतरपुर में यह आंकडा एक नंबर और आगे जाकर १९ हो गया है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में केवल १ नवजात की मौत की जानकारी आंकडो पर ही सवालिया निशान लगा रही है। प्रदेश में पिछले माह हुई सभी जिलो के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियो की बैठक में यह जानकारी साझा की गई थी।

मौत पर नियंत्रण के लिए बनी थी यूनिट
प्रदेश में वर्ष २०११ में प्रसव के तत्काल बाद नवजातो की मौत को कम करने नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई बनाई गई थी। टीकमगढ़ में भी इकाई बनाकर डॉक्टरो के साथ ही २० स्टाफ नर्स को तैनात किया था। इस इकाई में ९ माह से कम समय के नवजातो और किसी संक्रमण के कारण पीडि़त नवजात को मशीन में रखकर २८ दिन तक इलाज करने की व्यवस्था की गई है।

 

इसके साथ ही इलाज के बाद नवजातो पर लगातार निगरानी रखने के लिए आशा कार्यकर्ताओ और मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को जबाबदारी दी गई है। लेकिन जिले को छोडकर संभाग के अन्य जिलो में हालात ठीक नजर नही आ रहे है।
छतरपुर में सबसे अधिक मौत
प्रदेश के सीएमएचओ द्वारा जारी की गई जानकारी में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती करके इलाज के बाद डिस्चार्ज करने के मामले में छतरपुर में २०१८-१९ में १९ मौत हुई है। इसके बाद सागर में १८ मौत,दमोह में १७ मौत,टीकमगढ़ में ६ मौत और सबसे कम पन्ना में केवल ३ नवजातो की मौत डिस्चार्ज के बाद हुई है। इसके साथ ही सागर संभागीय मुख्यालय में यूनिट में इलाज के मामले में हालात ठीक नही है।
सागर में पिछले वर्ष ६७.७ प्रतिशत नवजातो का ही एसएनसीयू में इलाज किया गया है। जिसके बाद पन्ना में ६८.८ प्रतिशत ,दमोह में ८१.७ प्रतिशत,छतरपुर में ८०.२ प्रतिशत और सबसे बेहतर टीकमगढ़ में ८४.६ प्रतिशत नवजातो को इलाज दिया गया है।

 

बिना बताए जाने के मामले में सागर अव्वल
एसएनसीयू में नवजातो के इलाज के लिए भर्ती कराने के बाद बेहतर इलाज न मिलने से परिजनो द्वारा बच्चो को ले जाने के मामले में सागर अव्वल है। रिपोर्ट में अधिकारियो ने माना है कि सागर में ९.३ प्रतिशत लोगो के द्वारा नवजातो को भर्ती कराने के बाद जबरन ले जाया गया है।
इसके बाद पन्ना में करीब २.१ प्रतिशत लोग ईलाज के दौरान ही नवजातो को ले गए। टीकमगढ़,छतरपुर और दमोह में यह आंकडा केवल ०.५ प्रतिशत ही दर्ज किया गया है। खास बात है कि जिला मुख्यालय में बनाई गई इन यूनिटो से अन्य उच्च संस्थान भेजने के मामलो में पन्ना के हालात बदतर है। पन्ना में सबसे अधिक ८.५ प्रतिशत नवजातो को बाहर भेजा गया है। इसके बाद छतरपुर में ६.३ प्रतिशत,दमोह में ५.२ प्रतिशत,टीकमगढ़ में ४.३ प्रतिशत और सागर में सबसे बेहतर केवल ३.५ प्रतिशत लोगो को ही इलाज के लिए अन्य सेंटरो पर जाने दिया गया है।


कहते है कि
जिले की एसएनसीयू बेहतर काम कर रही है। पिछले वर्षो में नवजातों की मौत की दर लगातार कम दर्ज की गई है। स्वास्थ्य सुविधाओ की बेहतरी के लगातार प्रयास कर रहे है।
डॉ ओपी अनुरागी सिविल सर्जन जिला अस्पताल टीकमगढ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो