मौत पर नियंत्रण के लिए बनी थी यूनिट
प्रदेश में वर्ष २०११ में प्रसव के तत्काल बाद नवजातो की मौत को कम करने नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई बनाई गई थी। टीकमगढ़ में भी इकाई बनाकर डॉक्टरो के साथ ही २० स्टाफ नर्स को तैनात किया था। इस इकाई में ९ माह से कम समय के नवजातो और किसी संक्रमण के कारण पीडि़त नवजात को मशीन में रखकर २८ दिन तक इलाज करने की व्यवस्था की गई है।
इसके साथ ही इलाज के बाद नवजातो पर लगातार निगरानी रखने के लिए आशा कार्यकर्ताओ और मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को जबाबदारी दी गई है। लेकिन जिले को छोडकर संभाग के अन्य जिलो में हालात ठीक नजर नही आ रहे है।
प्रदेश के सीएमएचओ द्वारा जारी की गई जानकारी में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती करके इलाज के बाद डिस्चार्ज करने के मामले में छतरपुर में २०१८-१९ में १९ मौत हुई है। इसके बाद सागर में १८ मौत,दमोह में १७ मौत,टीकमगढ़ में ६ मौत और सबसे कम पन्ना में केवल ३ नवजातो की मौत डिस्चार्ज के बाद हुई है। इसके साथ ही सागर संभागीय मुख्यालय में यूनिट में इलाज के मामले में हालात ठीक नही है।
बिना बताए जाने के मामले में सागर अव्वल
एसएनसीयू में नवजातो के इलाज के लिए भर्ती कराने के बाद बेहतर इलाज न मिलने से परिजनो द्वारा बच्चो को ले जाने के मामले में सागर अव्वल है। रिपोर्ट में अधिकारियो ने माना है कि सागर में ९.३ प्रतिशत लोगो के द्वारा नवजातो को भर्ती कराने के बाद जबरन ले जाया गया है।
कहते है कि
जिले की एसएनसीयू बेहतर काम कर रही है। पिछले वर्षो में नवजातों की मौत की दर लगातार कम दर्ज की गई है। स्वास्थ्य सुविधाओ की बेहतरी के लगातार प्रयास कर रहे है।
डॉ ओपी अनुरागी सिविल सर्जन जिला अस्पताल टीकमगढ