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टीकमगढ़

यदि 5 प्रतिशत वोट स्विंग हुआ तो बदल जाएंगे संभाग की 26 सीटों के समीकरण

विदित हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र 5 प्रतिशत वोट से ही कांग्रेस को 26 में से 20 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।

टीकमगढ़Nov 21, 2018 / 12:27 pm

anil rawat

MP Election 2018

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टीकमगढ़. यदि इस बार संभाग में 5 प्रतिशत वोट स्विंग हो जाता है, तो संभाग की 26 सीटों पर इसका असर दिखाई देगा। विदित हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र 5 प्रतिशत वोट से ही कांग्रेस को 26 में से 20 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के खातें में आई इन 20 सीटों में से 6 पर हार-जीत का अंतर जहां 3 हजार वोटों से कम है , वहीं 3 सीटें ऐसी है, जहां यह अंतर 6 हजार से कम है।
सागर संभाग के पांचो जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें आई है। पिछले चुनाव में संभाग में 5.57 प्रतिशत मतों के अंतर के कारण भाजपा ने यहां पर 20 सीटों पर कब्जा कर लिया था, जबकि 6 कांग्रेस को 6 सीटों से संतोष करना पड़ा था। यदि इस बार संभाग में 5 प्रतिशत मतों का स्विंग हो गया तो यहां के परिणाम कुछ और ही हो सकते है। यदि इससे कम मतों का भी स्विंग हुआ तो भी संभाग की 9 सीटें ऐसी है, जहां के परिणाम पूरी तरह से प्रभावित हो सकते है।
ऐसे हुआ था मत विभाजन: वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में संभाग की 26 सीटों पर कुल 50 लाख 81 हजार 607 मतदाताओं में से 34 लाख 95 हजार 8 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इसमें से संभाग की सभी 26 सीटों पर जहां भाजपा को 15 लाख 15 490 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 12 लाख 25837 मत प्राप्त हुए थे। संभाग की सभी 26 सीटों पर भाजपा को कांग्रेस से 2 लाख 89 हजार 593 मत अधिक प्राप्त हुए थे। इस प्रकार भाजपा को संभाग के कुल मतदाताओं से महज 5.57 प्रतिशत अधिक मत ही प्राप्त होने पर सीधे 20 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया था।

यह रही थी कांटे की टक्कर की सीटें: पिछले चुनाव में सबसे कांटे की टक्कर सागर जिले की सुरखी विधानसभा में भाजपा की पारूल साहू और कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत के बीच तथा टीकमगढ़ में भाजपा के हरिशंकर खटीक और कांग्रेस के दिनेश अहिरवार के बीच देखने को मिला था। सुरखी का चुनाव जहां भाजपा की पारूल साहू ने महज 141 मतों से जीता था, वहीं जतारा पर कांग्रेस के दिनेश अहिरवार ने 233 मतों से जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही दमोह जिले के गुन्नौर सीट पर भाजपा के महेन्द्र सिंह और कांग्रेस के शिवदयाल के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था और महेन्द्र सिंह महज 1337 मतों से विजयी हुए थे। मलहरा में भी भाजपा के रेखा यादव एवं कांग्रेस के तिलक सिंह के बीच भी जोरदार संघर्ष देखने को मिला था। यहां भी महज 1514 मतों से भाजपा की रेखा यादव चुनाव जीत गई थी। वहीं छतरपुर जिले की छतरपुर विधानसभा में भी भाजपा की निर्वतमान मंत्री ललिता यादव एवं कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। यहां पर भी भाजपा की ललिता यादव की किस्मत ने साथ दिया और आलोक चतुर्वेदी महज 2163 मतों से चुनाव हार गए थे। ऐसा ही मुकाबला दमोह जिले की हटा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच देखने को मिला था। यहां पर भाजपा की उमा देवी खटीक 2852 मतों से चुनाव जीत गई थी। इसके साथ ही खुरई सीट पर भाजपा के निर्वतमान गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह का मुकाबला अपने चिरपरिचित प्रतिद्वंदी अरूणोदय चौबे के साथ था। यह सीट भूपेन्द्र ङ्क्षसह ने महज 6 हजार मतों के अंतर से जीती थी। वहीं दमोह में निर्वतमान मंत्री जयंत मलैया भी 4953 मतों से जीते थे। इसके साथ ही टीकमगढ़ जिले की खरगापुर सीट से कांग्रेस की चंदा सिंह गौर ने भाजपा के राहुल सिंह को 5677 मतों से हरा दिया था।
बड़ सकती है भाजपा की मुश्किलें: विदित हो कि पिछले बार विधानसभा चुनाव में जहां प्रदेश में मोदी फैक्टर हावी था, वहीं सीएम शिवराज की लहर का भी असर था। लेकिन इस बार के चुनाव में यह लहर नही दिखाई दे रही है। इस बार का चुनाव बराबरी का दिखाई दे रहा है। वहीं 15 साल से प्रदेश में काबिज भाजपा सरकार के खिलाफ इंटर इन्कमबेंसी का माहौल, सपाक्स का विरोध, कर्मचारियों की नाराजगी, पार्टी के नाराज कार्यकर्ताओं का विरोध सहित तमाम ऐसी चीजें है जो भाजपा की मुश्किलें बढ़ाती दिखाई दे रही है। इन नाराजगियों के चलते यदि यह वोट स्विंग हो गया तो संभाग की सभी 26 सीटों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

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