आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधिस्थ होने की खबर से सकल जैन समाज स्तब्ध रह गया। यह खबर मिलते ही बाजार में जैसे सन्नाटा पसर गया। शहर का पूरा बाजार बंद रहा और लोग आचार्य श्री के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते दिखाई दिए। सोशल मीडिया से लेकर पूरे बाजार में आचार्य श्री की चर्चाएं होती रही और लोग उनके संस्मरण को याद करते रहे। आचार्य श्री ने जिले में दो बार जहां चातुर्मास किया है तो 2018 में 20 अप्रेल को वह जिले में ग्रीष्म कालीन प्रवास पर पहुंचे थे। आचार्य श्री ने यहां पर पूरे 70 दिन का समय व्यतीत किया है।
बहुत भाता था अहार जी और पपौरा जी
आचार्य विद्यासागर महाराज को जिले के अतिशय क्षेत्र पपौरा, सिद्ध क्षेत्र अहार और बंधा जी से गहरा नाता रहा है। उन्हें यह क्षेत्र बहुत प्रभावित करते थे। ऐसे में सन 1985 में आचार्य श्री ने सिद्धक्षेत्र अहार जी में ग्रीष्म कालीन प्रवास के साथ ही चातुर्मास किया था और पूरे 7 माह का समय यहां व्यतीत किया था, वहीं 1986 में वह चातुर्मास के लिए अहार जी पहुंचे थे। इस समय भी यहां पर लगभग 8 माह का समय व्यतीत किया गया था। जिले के जैन समाज द्वारा पपौरा जी में प्रतिभा स्थली निर्माण करने की बात जैसे ही आचार्य श्री को पता चली वह 2018 में 20 अप्रेल को फिर से पपौरा जी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां पर 70 दिन का समय व्यतीत किया। इस दौरान वह बंधा जी दर्शन करने के लिए पहुंचे तो यहां पर रजत मंदिर की नींव रखी।
आचार्य श्री के समाधिस्थ होने की खबर के बाद जैन समाज में पूरे दिन उनकी चर्चा होती रही। लोग अपने पुराने संस्मरण सुनाते रहे। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि आचार्य श्री अब उनके बीच नहीं है।