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टीकमगढ़

टीकमगढ़ के कण-कण में बसी है आचार्य विद्यासागर की स्मृतियां

जिले से रहा है खासा लगाव, प्रतिभा स्थली के साथ ही रजत मंदिर की दी सौगात

टीकमगढ़Feb 18, 2024 / 11:41 am

anil rawat

Memories of Acharya Vidyasagar reside in every corner of Tikamgarh.

2018 में पपौरा जी में हुआ आचार्य श्री का आगमन।

टीकमगढ़. आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधिस्थ होने की खबर से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। आचार्य श्री का जिले से खासा लगाव रहा है और उन्होंने जिले के हर तीर्थ क्षेत्र पर लंबा समय बिताया है। 6 साल पूर्व 2018 में आचार्य श्री ग्रीष्म कालीन प्रवास पर अतिशय क्षेत्र पपौरा आए थे और यहां पर प्रतिभा स्थली की सौगात दी थी।
Memories of Acharya Vidyasagar reside in every corner of Tikamgarh.
IMAGE CREDIT: patrika

आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधिस्थ होने की खबर से सकल जैन समाज स्तब्ध रह गया। यह खबर मिलते ही बाजार में जैसे सन्नाटा पसर गया। शहर का पूरा बाजार बंद रहा और लोग आचार्य श्री के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते दिखाई दिए। सोशल मीडिया से लेकर पूरे बाजार में आचार्य श्री की चर्चाएं होती रही और लोग उनके संस्मरण को याद करते रहे। आचार्य श्री ने जिले में दो बार जहां चातुर्मास किया है तो 2018 में 20 अप्रेल को वह जिले में ग्रीष्म कालीन प्रवास पर पहुंचे थे। आचार्य श्री ने यहां पर पूरे 70 दिन का समय व्यतीत किया है।

Memories of Acharya Vidyasagar reside in every corner of Tikamgarh.
IMAGE CREDIT: patrika

बहुत भाता था अहार जी और पपौरा जी
आचार्य विद्यासागर महाराज को जिले के अतिशय क्षेत्र पपौरा, सिद्ध क्षेत्र अहार और बंधा जी से गहरा नाता रहा है। उन्हें यह क्षेत्र बहुत प्रभावित करते थे। ऐसे में सन 1985 में आचार्य श्री ने सिद्धक्षेत्र अहार जी में ग्रीष्म कालीन प्रवास के साथ ही चातुर्मास किया था और पूरे 7 माह का समय यहां व्यतीत किया था, वहीं 1986 में वह चातुर्मास के लिए अहार जी पहुंचे थे। इस समय भी यहां पर लगभग 8 माह का समय व्यतीत किया गया था। जिले के जैन समाज द्वारा पपौरा जी में प्रतिभा स्थली निर्माण करने की बात जैसे ही आचार्य श्री को पता चली वह 2018 में 20 अप्रेल को फिर से पपौरा जी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यहां पर 70 दिन का समय व्यतीत किया। इस दौरान वह बंधा जी दर्शन करने के लिए पहुंचे तो यहां पर रजत मंदिर की नींव रखी।

पूरे दिन होती रही चर्चाएं
आचार्य श्री के समाधिस्थ होने की खबर के बाद जैन समाज में पूरे दिन उनकी चर्चा होती रही। लोग अपने पुराने संस्मरण सुनाते रहे। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि आचार्य श्री अब उनके बीच नहीं है।

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