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बुंदेलखंड में गहराया पेयजल संकट-१०० रुपए देने के बाद २ किमी का सफर

locationटीकमगढ़Published: Jun 13, 2019 12:15:43 pm

Submitted by:

vivek gupta

आदिवासी महिलाएं दो किलोमीटर दूर खेत पर लगे ट्यूबवेल से 100 रुपए महीने के हिसाब से पानी भर कर लाते हैं।

bundelkhand me nahi mil raha pani

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टीकमगढ़..गर्मी की तपिश बढऩे के साथ ही बुंदेलखंड में पेयजल संकट गहराने लगा है। कुएं सूख गए हैं और हैंडपंप भी जवाब देने लगे हैं। वहीं नल से भी पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में ग्रामवासियों को जलापूर्ति के एकमात्र साधन एक-ट्यूबवेल है। जहां पानी के लिए लोगों की कतारें लगी रहती हैं।

जिले के बल्देवगढ़,चंदेरा,मोहनगढ़ के साथ ही पृथ्वीपुर के कई गावो में हालात विकराल होने लगे है। ऐसा ही हाल दो हजार की आबादी वाले बल्देवगढ़ के गांव कन्नपुर का है जहां ग्रामवासियों के सामने पेयजल समस्या विकराल बनी हुई है।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन मोहल्लों के बीच एक हैंडपंप है, जिससे लोग पीने का पानी जुटा रहे हैं। इस हैंडपंप पर सुबह से ही पानी भरने वालों की कतार लग जाती है। वहीं कुएं पूरी तरह से सूख चुके हैं। कई हैंडपंपों से या तो पानी निकालना बंद हो गया या फिर पानी कम देने लगे हैं।
ऐसे में लोग सुबह से शाम तक हैंडपंप पर बाल्टी व कुप्पा लेकर खड़े नजर आते हैं। समस्या इतनी गंभीर है कि लोग सुबह से लेकर शाम तक पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते हैं।

दूर से लाना पड़ रहा पानी
ग्रामीणों का कहना है कि इस भीषण गर्मी में लोगों दूर से पानी भरकर लाना पड़ रहा है। पानी की समस्या पर सरपंच एव अधिकारी से शिकायत भी की गई है लेकिन कोई हल नहीं निकला है।

यहां तक कन्नपुर निवासी रामकिशोर, राजीव जैन, मानिक लाल लोधी के निजी बोरवेल से ग्रामीणों की प्यास बुझ रही है। पेयजल स्रोतों पर भीड़ लगी रहती है, जहां कई बार तू-तू-मैं-मैं की नौबत आ जाती है।

बूंद बूंद पानी को तरस रहे लोग
चंदेरा ग्राम में नल जल योजना संचालित है जिसका कोई खास लाभ ग्राम वासियों को नहीं मिल पा रहा ह। जब नल जल योजना से बनाई गई टंकी में जल का स्तर बढ़ जाता है तो यह ओवरफ्लो होने से वार्ड क्रमांक 11 की महिलाएं तपती धूप में पानी भरती देखी जाती हैं। वहीं कमला बाई एवं प्रीति बाई ने बताया कि ग्राम पंचायत में पानी की टंकियां मात्र शोपीस है, टंकी में नियमित रूप पानी नहीं भरवाया जा रहा है। पिछले 8-9 दिनों से टंकियों में पानी नहीं भर पा रहा है।

एक बार मिलता है पानी
ग्राम के 20 वार्ड है जिनकी आबादी लगभग 14000 है किन्तु नल जल योजना का लाभ मात्र वार्ड 1, 2, 3, 4, 5, 11, 21 को ही मिलता है। वहीं कई इलाकों में नलों में 24 घंटे में एक बार पानी आ रहा है। ग्रामवासी पानी की पूर्ति के लिए टैंकरों का सहारा ले रहे हैं। वार्डों में सुबह से लेकर रात तक लोग पानी के लिए भटकते हैं।

कूपों ने अभी से छोड़ा साथ

ग्राम में जल समस्या के निदान का कोई उपाय नजर नहीं आता। कुएं और हैंडपम्प के अलावा अन्य जलस्रोत शोपीस बनकर रह गए हैं जनमे पानी के स्थान पर मिट्टी दिखाई देती है। स्थिति यह है कि 250 और 380 फीट गहरे बोर ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।

100 रुपए देकर दो किलोमीटर दूर से लाते है पानी
ग्राम की आदिवासी बस्ती एवं रंगयाना मुहल्ला में कुल मिलाकर पांच हैंडपम्प हैं जिनमें से चार खराब पड़े हैं या फिर उनमें से पानी नहीं निकल रहा। ऐसे में आदिवासी महिलाएं दो किलोमीटर दूर खेत पर लगे ट्यूबवेल से 100 रुपए महीने के हिसाब से पानी भर कर लाते हैं। महिलाओं ने बताया कि दोनों बस्तियों के रहवासी कई बार अधिकारियों से शिकायत कर समस्या बताई लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
इनका कहना है
ग्राम में जलसंकट से निपटने के लिए टंकियां रखवाई गई हैं। मेरे द्वारा सरपंच सचिव को निर्देशित भी किया गया है कि पानी की टंकियां नियमित रूप से दिन में तीन बार भरवाए। अगर लापरवाही हो रही है तो दिखवाता हूं।
शैलेन्द्र प्रसाद सिंह, जनपद पंचायत सीईओ, जतारा
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