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टीकमगढ़

नहरों के रखरखाव की राशि अटकी, अब सिर्फ 25 फीसदी रकम ही की जाएगी जारी

जल संस्था अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त, 29 संस्थाओं में 89 तालाबों के थे अध्यक्ष

टीकमगढ़Jan 19, 2020 / 01:07 am

नितिन सदाफल

Amount of maintenance of canals stuck, now only 25 percent amount will be released

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टीकमगढ़. जल संस्था अध्यक्षों के अधिकार समाप्त हो गए हैं। इनका कार्यकाल ३ जुलाई को समाप्त हो चुका था। शासन द्वारा इनका कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ा दिया था। जिसकी अवधि ३ जनवरी को पूरी हो गई है। इसके बाद सहभागिता सिंचाई प्रबंधन जल संसाधन विभाग के संचालक द्वारा यह आदेश किया गया है। जिसमें टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की २९ से अधिक जल संस्थाएं निष्प्रभावी हो गई हैं। सरकार के इस निर्णय से संस्थाओं की आर्थिक परेशानी बढ़ गई है।
२९ तालाबों से निकलने वाली नहरों और पुरानी नहरों की मरम्मत की गई थी जिसकी पहली किस्त ६ लाख ५० हजार रुपए की दी गई है। इसके बाद नहर संचालन के पूर्व मिलने वाली राशि अभी अटकी हुई है। हर साल जून-जुलाई और दूसरी किस्त नहर संचालन के पूर्व अक्टूबर और नवम्बर में मिल जाती थी लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हो सका। मोहनगढ़ के साथ अचर्रा, दुश्यारा, जतारा, बराना, बम्होरी, नारायणपुर, बल्देवगढ़ और अहार के कार्यों का भुगतान अभी शेष है।
उनके द्वारा जल संस्था अध्यक्षों ने अधिकारियों के चक्कर लगाए है। लेकिन मामले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में खेती का रकवा ५ लाख हेक्टेयर है। इसके लिए ८९ तालाबों द्वारा नहरें को निकाला गया है। जिसमें २ लाख ७० हजार हेक्टेयर के करीब जमीन है। जल संस्थाओं को १२० रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि को दिया जाता है। लेकिन विभाग द्वारा ६० रुपए के हिसाब से पहली किस्त दी गई। पूर्व में 50 प्रतिशत राशि निर्माण के लिए दी जाती थी जिसे अब शासन ने घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है।

२० में ७ हजार का किया भुगतान
अचर्रा जल संस्था अध्यक्ष राजेश चौबे ने बताया कि अचर्रा के साथ कुम्हैड़ी और एक अन्य तालाब का अध्यक्ष निर्वाचित हूं। २० हजार रुपए में नहर निर्माण किया गया था। लेकिन पहली किस्त में ७ हजार रुपए का ही भुगतान किया गया है। इसके बाद अधिकारियों के चक्कर काट रहे है।

२५ प्रतिशत राशि होगी जारी
विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि शासन द्वारा जल संस्थाओं को दी जाने वाली राशि ५० की जगह अब २५ प्रतिशत कर दी गई है। इसका कारण सरकार का खजाना खाली होना बता रहे हैं। संस्थाओं के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार समाप्त होने से राशि का भुगतान कैसे होगा, यह अभी तय नहीं किया गया है।

प्रस्ताव के बाद भी नहीं हुआ नहर निर्माण
दुश्यारा जल संस्था अध्यक्ष कैलाश सिंह घोष ने बताया कि इस संस्था में दुश्यारा, दिगौड़ा और टुडयारा तालाब आता है। यह पर इन तालाबों के बीच हजारों एकड़ जमीन पड़ी हुई है। नहर निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग के इंजीनियर को नाप लिया गया था। बैठक में प्रस्ताव भेजे गए थे। लेकिन निर्माण कार्य नहीं किया गया है।

3 नहर का कराया निर्माण, नहीं हुआ भुगतान
गौर जल संस्था अध्यक्ष राजेंद्र पस्तोर ने बताया कि पहले दो साल के लिए जल संस्था के चुनाव किए जाते थे। पूर्व की सरकार द्वारा ५ साल का कार्यकाल कर दिया था। जल संस्थाओं का कार्यकाल जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की सिफारिश पर किया गया है। पिछले कार्यकाल में गौर, दरगांय खुर्द, दरगांय कलां तालाब की नहरों का निर्माण और मरमत कराई गई थी। जिसमें से ३० हजार रुपए भुगतान नहीं किया गया है। जिसके कारण सैकड़ों बार विभाग के साथ कलेक्टर को पत्र दे दिए गए है।

29 जल संस्था अध्यक्षों के कार्यकाल समाप्ति के आदेश आ गए हैं। उनके द्वारा कराए गए कार्यों की पहली किस्त का भुगतान भी हो गया है। उनके वित्तीय अधिकारियों को भी छीन लिया गया है।
आरपी त्रिपाठी, ईई, जल संसाधन विभाग, टीकमगढ़

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