उन्होंने कहा, “आपको लगता है कि आप सबसे फिट खिलाड़ी हैं लेकिन अचानक से आपको इस तरह की बीमारी से जूझना पड़ता है।” वोज्नियाकी को इस साल डब्ल्यूटीए फाइनल्स में हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बीमारी के लक्षण विंबलडन के बाद से ही दिखने लगे थे। एक सुबह वह अपने हाथ को सिर के ऊपर तक नहीं ले जा पा रही थीं। वर्ल्ड नंबर-तीन खिलाड़ी ने कहा कि कई बार उन्हें सुबर बिस्तर से उठने में भी परेशानी होती है। डॉक्टर ने अगस्त में अमेरिकी ओपन से पहले उनकी इस बीमारी का पता लगाया था।
वोज्नियाकी ने कहा, “शुरुआत में यह मेरे लिए झटका था। यह किसी के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं होती है। मेरा मानना है कि जब आप एक पेशेवर खिलाड़ी होते हैं तो यह और अच्छी स्थिति नहीं होती है।” लेकिन, वोज्नियाकी को पूरी उम्मीद है कि यह लाइलाज बीमारी उनके करियर की राह का रोड़ा नहीं बन सकेगी। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में चीन ओपन जीता था। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जीतना (बीजिंग में) मेरे लिए बहुत ही खास बात थी। जाहिर है ऐसी बीमारी में आप सोचने लगते हैं कि क्या होगा, क्या मैं पहले जैसी फिट हो पाऊंगी? ऐसे में जीत बहुत बड़ी बात है। इसने मुझे यह विश्वास दिया कि कुछ भी मुझे पीछे नहीं ले जा सकता। जो है, वह है लेकिन मैं कुछ भी कर सकती हूं। मुझे पता है कि दुनिया में बहुत से लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि मैं ऐसी बन सकूंगी जिनकी तरफ यह लोग प्रेरणा से देखेंगे और कहेंगे कि अगर मैं ऐसा कर सकती हूं तो वे क्यों नहीं कर सकते।”