scriptब्रज के लिए खास है अक्षय तृतीया, इस दिन लगता है शीतल पदार्थों का भोग | Akha teej special story on braj temples | Patrika News

ब्रज के लिए खास है अक्षय तृतीया, इस दिन लगता है शीतल पदार्थों का भोग

Published: Apr 17, 2018 03:50:39 pm

अक्षय तृतीया के दिन ठाकुर के सर्वांग में चन्दन लेपन कर वस्त्र उकेरे जाते हैं लेकिन सर्वांग दर्शन मर्यादा में होते है।

astrology tips in hindi,dharma karma,jyotish tips in hindi,hindu temples in hindi,hindu pilgrimage trips,ज्योतिष,

braj temple details

अक्षय तृतीया से ब्रज के मंदिरों में ठाकुर की ग्रीष्मकालीन सेवा शुरू हो जाती है। इस बार 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी तथा इसकी तैयारी तेजी से चल रही है। ब्रज के अधिकांश मंदिरों में ठाकुर की बालभाव में सेवा होती है इसलिए मौसम के अनुसार सेवा के तौर तरीके भी बदल जाते हैं। गोवर्धन के मशहूर मुकुट मुखारबिन्द मंदिर के सेवायत अर्जुन पुजारी ने बताया कि अक्षय तृतीया से मंदिर के मुख्य श्रीविगृह का चंदन श्रृंगार चलता है। भोग भी शीतल पदार्थों जैसे सत्तू, खरबूजा, ककड़ी, आम आदि का लगता है। भक्तों में इस दिन सतुआ प्रसाद भोग के रूप में वितरित किया जाता है।
मंदिर के सेवायत के अनुसार ठाकुर के अंग में चंन्दन लेपन कर वस्त्रों का अलंकरण वर्ष में एक बार ही होता है इसलिए ठाकुर दर्शन की होड़ सी लग जाती है। गोवर्धन के दानघाटी मंदिर मुखारबिन्द मंदिर जतीपुरा और राधाकुंड के अधिकांश मंदिरों में सेवा का यही क्रम चलता है। पुष्टि मार्ग का मंदिर होने के कारण गोकुल के राजा ठाकुर मंदिर में अक्षय तृतीया से ठाकुर की ग्रीष्मकालीन सेवा शुरू हो जाती है। मंदिर के ही सेवायत आचार्य भीखूभाई महराज ने बताया कि इसमें शर्बत, मूंग और चने की अंकुरित दाल, सतुआ, ककड़ी, खरबूजा और आम का भोग लगता है तथा रोज शयन में ठाकुर कमलचैक में विराजते हैं। फुहारे चलते हैं और यह क्रम नृसिंह चतुर्दशी तक चलता है।
अक्षय तृतीया के दिन ठाकुर के सर्वांग में चन्दन लेपन कर वस्त्र उकेरे जाते हैं लेकिन सर्वांग दर्शन मर्यादा में होते है। नित्य राजभोग और शयन भोग में निज मंदिर से मणिकोठा और फिर कमलचैक तथा जल का छिड़काव होता है तथा पानी से भीगी हुई खस की टटिया लगाई जाती है। काषर्णि आश्रम रमणरेती में अक्षय तृतीया पर जहां रमण बिहारी का श्रंगार चंदन के वस्त्र धारण कराकर होता है वहीं इस दिन यमुना के रमण घाट पर नये सन्यासियों एवं ब्रह्मचारियों को स्वयं आश्रम के अधिष्ठाता काषर्णि गुरू शरणानन्द महाराज दीक्षा देते हैं। दीक्षा लेने के पहले ब्रह्मचारी दिगम्बर के रूप में यमुना जल में खड़े होते हैं इसके बाद महाराज उन्हें लंगोटी देते हैं। उसे धारण कर वे दीक्षा लेते हैं। इसके बाद भंडारा होता है तथा शाम को विशेष फूल बंगला होता है।
अक्षय तृतीया पर मंदिर में कृष्ण और बल्देव के श्रीविगृह पर जब चन्दन लेपन होता है तो वैदिक मंत्रों का पाठ होता है तथा महाआरती होती है। इस दिन से ठाकुर जी गर्मी के वस्त्र धारण करते हैं, शीत ऋतु के फलों एवं सतुआ का भोग लगता है। महाप्रसाद का वितरण होता है अक्षय तृतीया पर वर्ष में एक बार प्राचीन केशवदेव मंदिर मल्लपुरा में ठाकुर के 24 अवतारों के दर्शन होते हैं। इस दिन ठाकुर को चन्दन स्नान कराया जाता है तथा सत्तू का भोग लगाया जाता है। इस दिन प्रात: साढ़े पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा शाम चार बजे से रात साढ़े नौ बजे तक ठाकुर के सर्वांग दर्शन चंदन लेपन के साथ होते हैं।
मथुरा के मशहूर द्वारिकाधीश मंदिर में तो इस दिन से एक प्रकार से ठाकुर की गर्मी की सेवा शुरू हो जाती है। इस दिन से मंदिर में फुहारे, पंखे, यमुना, नौका लीला, कुज्जा यानी ठाकुर को सुराही में पानी देना शुरू हो जाता है। इस दिन ठाकुर के सर्वांग पर चंदन लेप किया जाता है और इसी दिन से रायबेल के फूलबंगला भक्त की श्रद्धा के अनुरूप शुरू होते हैं। बरसाना, नन्दगांव, संकेत, भांडीरवन, ब्रह्माण्ड घाट समेत ब्रज के अधिकांश मंदिरों में अक्षय तृतीया ठाकुर की चन्दनयात्रा में तब्दील हो जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो