scriptट्रोमा सेंटर में एक्स-रे सुविधा बंद, मरीजों की परेशानी बढ़ी | X-ray facility closes at Troma Center, patients' troubles increased | Patrika News

ट्रोमा सेंटर में एक्स-रे सुविधा बंद, मरीजों की परेशानी बढ़ी

locationसूरतPublished: Jan 18, 2019 09:03:55 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

न्यू सिविल अस्पताल में एक छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलने के दावे की हवा निकल गई

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ट्रोमा सेंटर में एक्स-रे सुविधा बंद, मरीजों की परेशानी बढ़ी

सूरत.

न्यू सिविल अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में इमरजेंसी मरीजों को एक छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलने के दावे की हवा निकल गई है। तीन-चार महीने से ट्रोमा सेंटर में एक्स-रे की सुविधा बंद है। एटोमिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड ने एक्स-रे कक्ष नियम के अनुरूप नहीं होने की रिपोर्ट दी थी। पीआइयू विभाग को एक्स-रे कक्ष में सुधार के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन यह कार्य कब पूरा होगा, कोई नहीं जानता।
दक्षिण गुजरात के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों को बेहतर सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन या विभागाध्यक्ष की अनदेखी के कारण कई सुविधाएं होते हुए भी मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पातीं। राजस्थान पत्रिका ने 10 जनवरी को सिटी स्कैन शुरू हुआ तो डिजिटल एक्स-रे बंद शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
सूत्रों ने बताया कि न्यू सिविल अस्पताल की नाक कहे जाने वाले ट्रोमा सेंटर में इमरजेंसी उपचार के लिए आने वाले मरीजों को एक छत के नीचे सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। एटोमिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड (एइआरबी) ने तीन-चार महीने पहले न्यू सिविल अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग का निरीक्षण किया था। ट्रोमा सेंटर में सोनोग्राफी और एक्स-रे कक्ष के निरीक्षण के दौरान एइआरबी अधिकारियों ने एक्स-रे कक्ष की दीवार मोटी नहीं होने पर स्थानीय अधिकारियों को बदलाव के निर्देश दिए थे।
इसके बाद से ट्रोमा सेंटर की एक्स-रे मशीन मरीजों के लिए बंद है। अधिकारियों ने एक्स-रे कमरे पर ताला लगा दिया है। ट्रोमा सेंटर में आने वाले गंभीर मरीजों को एक्स-रे के लिए रेडियोलॉजी विभाग तक जाना पड़ता है। ट्रोमा सेंटर के सीएमओ ने बताया कि इमरजेंसी विभाग में प्रतिदिन अस्सी से सौ मरीज आते हैं। इनमें ६०-70 फीसदी मरीजों को एक्स-रे की जरूरत होती है। इन्हें ट्रोमा सेंटर में रेडियोलॉजी विभाग भेजा जाता है। मरीजों को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उनके परिजनों की तकलीफ भी बढ़ जाती है। मरीज के साथ एक सर्वेंट को स्ट्रेचर के साथ भेजा जाता है। एक्स-रे के बाद फिर ट्रोमा सेंटर आने में एक-डेढ़ घंटे से अधिक लग जाता है। अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एइआरबी के निर्देश के मुताबिक पीआइयू विभाग को बदलाव के कार्य के लिए कहा गया है। कार्य शुरू तो हो गया है, लेकिन कब तक पूरा होगा, इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है।

रेडियोलॉजी विभाग में कुछ दिन पहले चिकित्सकों और टेक्निशियन को कहा गया था कि एक्स-रे के बाद फिल्म (प्लेट) सुखा कर उसकी रिपोर्ट मरीजों को दी जाए। फिल्म को सुखाने और रिपोर्ट बनाने में एक-दो घंटे से अधिक लग जाते हैं। तब तक मरीज तथा उसके परिजनों को एक्स-रे के लिए ओपीडी में इंतजार करना पड़ता है। गंभीर मरीजों को एक्स-रे के तुरंत बाद उपचार की जरूरत होती है, लेकिन एक्स-रे रिपोर्ट में देरी से उपचार में भी देर होती है।

प्लेटों की खरीद लिमिट पूरी होने से संकट

लम्बे समय से बंद सीटी स्कैन सुविधा 25 दिसम्बर से शुरू हुई थी। इसके बाद रेडियोलॉजी विभाग में डिजिटल एक्स-रे की सुविधा बंद कर दी गई। डिजिटल एक्स-रे प्लेटों की कमी को इसका कारण बताया गया। सूत्रों ने बताया कि अस्पताल ने डिजिटिल एक्स-रे प्लेटों की खरीद लिमिट को पूरा कर लिया है। सीटी स्कैन के लिए प्लेटों की आपूर्ति की व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों तथा रेडियोलॉजी विभाग ने अपने तरीके से व्यवस्था करते हुए डिजिटल एक्स-रे की प्लेटों का इस्तेमाल सीटी स्कैन के मरीजों के लिए शुरू कर दिया। इन प्लेटों की कमी के कारण एक्स-रे की सुविधा बंद कर दी गई।
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