समूह में मनाते हैं पर्व
छठ पर्व को समूह में मनाए जाने की परम्परा का निर्वाह सूरत में भी जगह-जगह देखने को मिलने लगा है। शहर के विभिन्न क्षेत्र में व्रती एकत्र होकर छठी मैया के गीत गाकर भगवान सूर्यदेव की आराधना करने लगे हैं वहीं, सभी के स्वस्थ और खुशहाल होने की कामना करते है। छठ पूजा के दौरान सगे-संबंधी व परिजन एक साथ रहकर छठी मैया को मनाते है।
शुद्धता पर विशेष ध्यान
छठ पर्व में व्रती व परिजन शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं। पूजा घर के शुद्ध वातावरण के साथ वे प्रसाद बनने के स्थान को भी नदी आदि के जल से शुद्ध करने के बाद ही परंपरगत मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद तैयार करते है। जानकारों की मानें तो प्रसाद के लिए बाजार से लाए गए फल-सब्जी व अन्य सामग्री को भी नदी आदि के जल से शुद्ध करने के बाद उसे बांस की टोकरी में लेकर रखा जाता है।
हजारों सिर पर होगी पूजा टोकरी
छठ पर्व के पहले अघ्र्य के लिए व्रती के साथ चलने वाले सगे-संबंधी फलों और अन्य पूजन सामग्री की टोकरी को सिर पर लेकर नदी-तालाबों की ओर मंगलवार दोपहर बाद रवाना होंगे। मान्यता है कि सिर पर टोकरी ढोना पुण्यदायी और मनोरथों को पूरा करने वाला होता है। वाहन से लाए जाने वाली टोकरी को भी श्रद्धालु नदी व तालाब के घाट तक सिर पर ढोकर ले जाएंगे।
घाट-किनारों पर तैयारियां पूरी
मंगलवार अस्ताचलगामी व बुधवार सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के लिए विभिन्न संगठनों की ओर से तापी के विभिन्न घाट व तालाब किनारे सभी व्यवस्था पूरी कर ली गई है। इसमें बिहार विकास परिषद ने जहांगीरपुरा में तापी नदी के इस्कॉन मंदिर घाट, बिहार विकास मंडल ने वेडरोड पर वियर-कम-कॉजवे, श्रीछठ पूजा सेवा समिति ने नानपुरा में नावड़ी घाट, समस्त बिहार-झारखण्ड समाज ट्रस्ट ने पार्ले पोइंट के पास अंबिकानिकेतन, श्रीछठ मानव सेवा ट्रस्ट ने डिंडोली में छठ सरोवर तथा श्री सार्वजनिक छठ पूजा समिति ने कराड़वा तालाब के निकट तैयारियां पूरी की है।