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वाजपेयी का हाथ थामकर जनसंघ से जुड़े

locationसूरतPublished: Aug 16, 2018 10:22:01 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीसे जुड़ी यादेंजनसंघ की स्थापना के समय नवसारी जिले में घूमे थे वाजपेयी

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वाजपेयी का हाथ थामकर जनसंघ से जुड़े


नवसारी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार शाम दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर फैल गई। खासकर जनसंघ के जमाने से जुड़े लोग ज्यादा दुखी हैं।
पूर्व राज्यसभा सांसद कानजी पटेल ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ की स्थापना के बाद कई बार गुजरात का दौरा किया था और उनसे प्रभावित होकर ही वेे वाजपेयी का हाथ थामकर जनसंघ से जुड़े। वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए कानजी पटेल ने बताया कि 1980 में गुजरात में आरक्षण के खिलाफ चले आंदोलन के दौरान भाजपा के किसी नेता ने आरक्षण के खिलाफ शुरू इस आंदोलन पर अपना पक्ष नहीं रखा था। इसके कारण विधानसभा का सदस्य होने पर उन्हें भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। कानजी पटेल के अनुसार ऐसे में उन्होंने पंजाब के अंबाला के तत्कालीन सांसद अर्जुन भाण से संपर्क कर यहां की स्थिति बताई। इसके दूसरे ही दिन अटल बिहारी वाजपेयी और अर्जुन भाण अहमदाबाद पहुंच गए और भाजपा नेताओं के साथ बैठक में सभी को आरक्षण के समर्थन में खड़ा होने की सूचना दी। 1978 में अटल बिहारी नवसारी आए थे और जलालपोर में बैठक की तथा कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं को जनसंघ में शामिल किया था। उस दौरान वे जनसंघ के सदस्य किशोर शर्मा के यहां ठहरे थे। उनके साथ बिताए गए समय को नवसारी जिले के जनसंघ व भाजपा कार्यकर्ताओं ने याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया।
पिता के आशीर्वाद देने पर ही खड़े हुए वाजपेयी
वापी. भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का स्वर्गवास गुरुवार को एम्स में हो गया। उनके निधन से देश के साथ वापी और आसपास के क्षेत्र में भी शोक की लहर है। वापी में जनसंघ के संस्थापक नेता जवाहर देसाई के परिवार के लोग शोक में डूबे हैं। बताया गया है कि नवनिर्माण आंदोलन में जवाहर देसाई के भाई धनसुख देसाई के शहीद होने के बाद 1974 में अटल बिहारी वाजपेयी वापी आए थे और देसाईवाड़ स्थित जवाहर देसाई के घर पहुंचकर धनसुख देसाई को श्रद्धांजलि देकर परिवार को सांत्वना दी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन की खबर से व्यथित जवाहर देसाई ने करीब 44 साल पहले की घटना को याद करते हुए बताया कि वाजपेयी जैसे विराट व्यक्तित्व का सरल और अपनत्व भरा स्वभाव आज भी याद है। 1974 में किस तारीख को अटलजी यहां आए थे यह तो ठीक से जवाहर देसाई को याद नहीं है। उन्होंने बताया कि संभवत: वह महीना दिसंबर का था। उन्हें अटलजी की कही एक और बात याद है। जवाहर देसाई के अनुसार अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि कांग्रेस की नीति कर्ज लेकर घी पीने को प्रोत्साहित करने वाली है और इससे लोगों का भला नहीं होने वाला।
पड़े रहे साष्टांग दंडवत
बकौल जवाहर देसाई अटल बिहारी वाजपेयी उस दौरान विरोधी खेमे के प्रमुख नेता के तौर पर लोकप्रिय हो चुके थे। वापी में उनके घर जाने से पूर्व नगर पालिका मैदान में उनकी सभा भी हुई और उसके बाद वे जवाहर देसाई के घर गए, लेकिन जवाहर देसाई पीछे ही रह गए। इसके बाद वे साइकिल लेकर घर के लिए निकले। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा तो वाजपेयी उनके पिता और माता के चरणों में दंडवत हैं और उठ ही नहीं रहे। जवाहर देसाई ने बाद में पिता को उनके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद देने का संकेत किया। जब देसाई के पिता ने उनके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया तब जाकर वाजपेयी खड़े हुए। इसके बाद भी जवाहर देसाई की अटल बिहारी वाजपेयी से दो बार मुलाकात हुई। नवनिर्माण आंदोलन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री उत्तम पटेल के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, जिनकी जमानत हाइकोर्ट से खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट गए थे। इसके बाद दिल्ली जाकर जवाहर देसाई अटल बिहारी के निवास पर ही ठहरे थे। जबकि उनके पिता मोरारजी देसाई के घर ठहरे थे।
1968 में वापी में जनसंघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जवाहर देसाई के अनुसार कुछ वर्ष बाद अटल बिहारी वाजपेयी पालघर में थे। जहां जवाहर देसाई ने उनसे सर्किट हाउस मे भेंट की। जब जवाहर देसाई ने उन्हें अपने वापी से आने की बात बताई तो उन्हें झट से पहचान लिया और सबसे पहले माता पिता का हाल-चाल जाना।
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