आंबोली ग्राम पंचायत में सर्वाधिक 2808 युवा बेरोजगार
प्रदेश में साक्षरता बढऩे से शिक्षित बेरोजगारों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। किए गए सर्वे में आंबोली ग्राम पंचायत में सर्वाधिक 2808 युवा बेरोजगार हैं। सबसे कम 464 बेरोजगार रखोली ग्राम पंचायत में हैं। दादरा में 400 से अधिक इकाइयों के बावजूद 852 बेरोजगार हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा पिछड़े सिंदोनी में 2250, मांदोनी में 1995, कौंंचा में 1539 तथा दुधनी में 1723 बेरोजगार हैं।
प्रदेश में साक्षरता बढऩे से शिक्षित बेरोजगारों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। किए गए सर्वे में आंबोली ग्राम पंचायत में सर्वाधिक 2808 युवा बेरोजगार हैं। सबसे कम 464 बेरोजगार रखोली ग्राम पंचायत में हैं। दादरा में 400 से अधिक इकाइयों के बावजूद 852 बेरोजगार हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा पिछड़े सिंदोनी में 2250, मांदोनी में 1995, कौंंचा में 1539 तथा दुधनी में 1723 बेरोजगार हैं।
शिक्षित बेरोजगारों का ग्राफ तेजी से बढ़ा रोजगार कार्यालय के अनुसार 31727 बेरोजगारों में स्नातक/ स्नातकोतर 2582, शिक्षण डिग्री 1080, बेचलर ऑफ डेंटल सर्जन 6, नर्सिंग व पैरामेडिकल 272, इंजीनियरिंग स्नातक 64, आईटीआई 415 बेरोजगार रोजगार की आस लगाए बैठे हैं।
वर्ष 2011 के बाद मनरेगा के काम बंद हो गए वर्ष 2011 के बाद मनरेगा के काम बंद हो गए। वर्ष 2009 की शुरुआत में मनरेगा के 12 हजार से अधिक जॉबकार्ड बनाए गए थे। इन लाभार्थियों के विभिन्न बैंकों में खाते खोले गए।
अधिकांश आबादी कृषि पर आश्रित वर्ष 2013 के बाद योजना धरातल से उतर जाने के बाद युवाओं को उद्योगों में हाथ फैलाने पड़ रहे हैं। औद्योगिक इकाइयां ठेकेदारों के मार्फत मजदूर, हेल्पर और कर्मचारियों की भर्ती चाहती है, जिससे स्थानीय युवाओं की अपेक्षा पड़ोसी राज्यों के युवा नौकरी हासिल कर लेते हैं। प्रदेश की अधिकांश आबादी कृषि पर आश्रित है।
बेरोजगारी से निपटने के लिए रोजगार मेला लगाने की जरूरत मानसून के बाद आदिवासी नौकरी पर आश्रित हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि बेरोजगारी से निपटने के लिए रोजगार मेला लगाने की जरूरत है। रोजगार मेले में उद्योगपतियों को आमंत्रित करके बेरोजगारी दूर हो सकती है। पिछले तीन वर्ष से रोजगार मेला संपन्न नहीं हुआ है।