लम्बी उधारी को माना जाता है साहुकारी
स्थानीय कपड़ा बाजार से देश और दुनियाभर में साड़ी-ड्रेस का कारोबार होता है। इसमें उधारी की व्यवस्था है, लेकिन इस उधारी का भुगतान छह माह तक किए जाने के बाद भी कुछ क्षेत्रों के व्यापारी साहुकार के रूप में गिने जाते हैं। इस कड़ी में राजस्थान, दिल्ली क्षेत्र की मंडियों के व्यापारी 45 से 60 दिन में उधारी चुकाकर स्वयं को साहुकार बताते हैं तो दक्षिण भारत की मंडियों के व्यापारी 4 से 6 माह की अवधि में भुगतान करके भी साहुकार गिने जाते हैं। हालांकि यह परम्परा सूरत कपड़ा मंडी से ही पनपी है तो इसे दूर करने में भी स्थानीय कपड़ा व्यापारियों को पहल करनी चाहिए।
वीवर्स ने अपनाई सीख
कपड़ा व्यापारियों को ग्रे ताके मुहैया कराने वाले वीवर्स (बुनकर) भी लम्बी उधारी से पछताकर थोड़े समय से स्वयं के व्यापार के साथ सख्त होने लगे हैं। कुछ समय पहले सचिन वीवर्स वेलफेयर एसोसिएशन में शामिल सभी वीवर्स ने तय किया कि वे कपड़ा व्यापारियों को एक निश्चित अवधि की उधारी में ही माल देंगे। भुगतान में विलम्ब होने पर व्यापारी से दूसरी बार कारोबार के प्रति एसोसिएशन तय करेगी। इनके निर्णय के बाद अन्य एसोसिएशन के वीवर्स भी अब कपड़ा बाजार में एक निश्चित अवधि के लिए उधार में कारोबार करते है और अवधि पार भुगतान पर पैनल्टी भी वसूलते है।
पहले चुकता करो उधार, फिर मिलेगा नया माल
सूरत कपड़ा मंडी में साड़ी-ड्रेस के अलावा टेंट डेकोरेशन के कपड़े का भी व्यापक कारोबार होता है और इस व्यवसाय में सक्रिय व्यापारियों के संगठन सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन ने तो बार-बार के नुकसान से होशियार होते हुए बड़ा ही कड़ा निर्णय हाल ही में किया है। एसोसिएशन ने तय किया है कि संगठन से जुड़े किसी भी व्यापारी की रकम दूसरे व्यापारी में अगर बकाया है तो उक्त व्यापारी को सूरत में एसोसिएशन का कोई सदस्य तब तक नया माल नहीं देगा जब तक पुरानी बकाया राशि का भुगतान वो नहीं कर देगा।
व्यापारिक संगठनों के भरोसे नहीं
व्यापार के भुगतान संबंधी नियमों में सख्ती की दरकार के बीच कुछ व्यापारिक संगठनों ने ठोस निर्णय भी किए है, लेकिन इन्हें अपनाने की जिम्मेदारी स्वयं कपड़ा व्यापारियों की है। संगठन के भरोसे इसमें ज्यादा नहीं रहा जा सकता। कपड़ा बाजार में अनेक व्यापारिक संगठन है, लेकिन उनके निर्णयों पर लम्बे समय तक अमल देखने को नहीं मिला है।
पिछले का करो भुगतान
पहले बात अलग थी लेकिन अब कपड़ा कारोबार में काफी बदलाव आ गया है और जो इस बदलाव में शामिल नहीं है, उसके लिए व्यापार में टिका रह पाना भी मुश्किल सा हो गया है। नए बदलाव में लास्ट बिल के भुगतान के बाद ही नई खरीदारी का व्यापारिक नियम प्रतिष्ठान पर बन चुका है, उम्मीद है इसे कपड़ा बाजार में सभी व्यापारी अपनाएंगे।
सुनील अग्रवाल, सौरभ टैक्सटाइल, मिलेनियम टैक्सटाइल मार्केट
सामूहिक स्तर पर लिया निर्णय
कपड़ा बाजार में टेंट डेकोरेशन के कपड़ा का व्यापक कारोबार है और सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन के सभी सदस्य व्यापारियों ने सामूहिक स्तर पर ठोस निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत सूरत के व्यापारियों से जो भी टेंट डेकोरेशन का कपड़ा खरीदेगा उसे पहले का भुगतान चुकता करना पड़ेगा तब ही वह नई खरीदारी कर सकेगा।
देव संचेती, अध्यक्ष, सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन
कई समस्या होती है पैदा
लेट पैमेंट अर्थात देरी से भुगतान कपड़ा बाजार के व्यापार के लिए कोढ़ में खाज के समान है। इससे एक-दो नहीं बल्कि कई व्यापारिक समस्याओं का सामना कपड़ा व्यापारियों को करना पड़ता है। जरूरत है अब सभी कपड़ा व्यापारी एकजुट होकर इस पर तयशुदा रणनीति बनाए और कपड़ा कारोबार में आगे बढ़ें।
सचिन अग्रवाल, कलाश्री साड़ी, एकता टैक्सटाइल मार्केट
स्व नियंत्रण व्यापार जरूरी
अधिक व्यापार की उलझी प्रतिस्पर्धा ने कपड़ा बाजार को यहां तक पहुंचा दिया है। इसे सुलझाने के लिए सबसे पहले स्व नियंत्रण आवश्यक है, व्यापारी की डिमांड से थोड़ा कम माल भेजा जाएगा तो भुगतान भी जल्दी होगा और डिमांड भी तेजी से आएगी। व्यापारिक संगठन तो ठीक लेकिन व्यापारी स्वयं इस दिशा में ठोस निर्णय करें।
प्रतीक चौधरी, कावेरी साड़ीज, रघुकुल टैक्सटाइल मार्केट