scriptSURAT NEWS:यूं तो कब तक देते रहेंगे उधार, इसमें नहीं है सूरत कपड़ा कारोबार का उद्धार | SURAT NEWS: How long will it continue to lend, it does not include Sur | Patrika News

SURAT NEWS:यूं तो कब तक देते रहेंगे उधार, इसमें नहीं है सूरत कपड़ा कारोबार का उद्धार

locationसूरतPublished: Jul 15, 2019 07:09:35 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

कपड़ा कारोबार में सख्ती की दरकारभुगतान संबंधी परम्परागत नियमों में बदलाव से व्यापार को मिलेगा परवान

patrika

SURAT NEWS:यूं तो कब तक देते रहेंगे उधार, इसमें नहीं है सूरत कपड़ा कारोबार का उद्धार

सूरत. आज नकद, कल उधार…यह स्लोगन लोगों ने कई दुकानों में देखा होगा लेकिन सूरत की कपड़ा मंडी ऐसा व्यापारिक केंद्र है जहां यह स्लोगन कहीं फिट नहीं बैठता है। यहां नकद कारोबार कुल व्यापार का चंद प्रतिशत ही होगा जबकि बड़े पैमाने पर खरीदारी उधारी में ही होती है और यह उधारी भी कोई महीना-पंद्रह दिन की नहीं बल्कि महीनों-महीनों की रहती है। इस भुगतान संबंधी परम्परागत प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत बदलते व्यापारिक दौर में अब स्वयं कपड़ा व्यापारी भी महसूस करने लगे है।
आम तौर पर कपड़ा बाजार में बड़े पैमाने पर उधारी में व्यापार का वर्षों पुराना चलन है मगर ज्यों-ज्यों समय बीता त्यों-त्यों उधारी की मियाद घटने के बजाय बढ़ती ही चली गई और बढ़ी भी ऐसी कि सप्ताह-पखवाड़े से चलते-चलते एक-दो और तीन माह से छह माह तक पहुंच गई। इतने लम्बे समय की उधारी की पीड़ा ना केवल ट्रेडिंग के व्यवसाय में सक्रिय कपड़ा व्यापारियों तक सीमित रही बल्कि समय के साथ कपड़ा व्यवसाय की प्रत्येक कड़ी के साथ जुड़ती गई। इसके नतीजन, लम्बी उधारी के दुष्परिणाम भी आए दिन कपड़ा व्यापारियों को पार्टी पलायन मामलों में लाखों-करोड़ों के नुकसान के रूप में झेलने पड़ रहे हैं। इससे निजात पाने के लिए व्यापारी स्वयं को सख्त बनाकर भुगतान के कड़े नियम बनाए ऐसी कपड़ा बाजार में जरूरत महसूस होने लगी है। इसकी पहल कुछ कपड़ा व्यापारियों ने की भी है लेकिन उनसे सीख लेने में फिलहाल कपड़ा बाजार के व्यापारियों में कोई रुचि नहीं दिखाई पड़ती है, जबकि पार्टी पलायन के मामलों में नुकसान की रकम लगातार बढ़ती ही जा रही है।

लम्बी उधारी को माना जाता है साहुकारी


स्थानीय कपड़ा बाजार से देश और दुनियाभर में साड़ी-ड्रेस का कारोबार होता है। इसमें उधारी की व्यवस्था है, लेकिन इस उधारी का भुगतान छह माह तक किए जाने के बाद भी कुछ क्षेत्रों के व्यापारी साहुकार के रूप में गिने जाते हैं। इस कड़ी में राजस्थान, दिल्ली क्षेत्र की मंडियों के व्यापारी 45 से 60 दिन में उधारी चुकाकर स्वयं को साहुकार बताते हैं तो दक्षिण भारत की मंडियों के व्यापारी 4 से 6 माह की अवधि में भुगतान करके भी साहुकार गिने जाते हैं। हालांकि यह परम्परा सूरत कपड़ा मंडी से ही पनपी है तो इसे दूर करने में भी स्थानीय कपड़ा व्यापारियों को पहल करनी चाहिए।

वीवर्स ने अपनाई सीख


कपड़ा व्यापारियों को ग्रे ताके मुहैया कराने वाले वीवर्स (बुनकर) भी लम्बी उधारी से पछताकर थोड़े समय से स्वयं के व्यापार के साथ सख्त होने लगे हैं। कुछ समय पहले सचिन वीवर्स वेलफेयर एसोसिएशन में शामिल सभी वीवर्स ने तय किया कि वे कपड़ा व्यापारियों को एक निश्चित अवधि की उधारी में ही माल देंगे। भुगतान में विलम्ब होने पर व्यापारी से दूसरी बार कारोबार के प्रति एसोसिएशन तय करेगी। इनके निर्णय के बाद अन्य एसोसिएशन के वीवर्स भी अब कपड़ा बाजार में एक निश्चित अवधि के लिए उधार में कारोबार करते है और अवधि पार भुगतान पर पैनल्टी भी वसूलते है।

पहले चुकता करो उधार, फिर मिलेगा नया माल


सूरत कपड़ा मंडी में साड़ी-ड्रेस के अलावा टेंट डेकोरेशन के कपड़े का भी व्यापक कारोबार होता है और इस व्यवसाय में सक्रिय व्यापारियों के संगठन सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन ने तो बार-बार के नुकसान से होशियार होते हुए बड़ा ही कड़ा निर्णय हाल ही में किया है। एसोसिएशन ने तय किया है कि संगठन से जुड़े किसी भी व्यापारी की रकम दूसरे व्यापारी में अगर बकाया है तो उक्त व्यापारी को सूरत में एसोसिएशन का कोई सदस्य तब तक नया माल नहीं देगा जब तक पुरानी बकाया राशि का भुगतान वो नहीं कर देगा।

व्यापारिक संगठनों के भरोसे नहीं


व्यापार के भुगतान संबंधी नियमों में सख्ती की दरकार के बीच कुछ व्यापारिक संगठनों ने ठोस निर्णय भी किए है, लेकिन इन्हें अपनाने की जिम्मेदारी स्वयं कपड़ा व्यापारियों की है। संगठन के भरोसे इसमें ज्यादा नहीं रहा जा सकता। कपड़ा बाजार में अनेक व्यापारिक संगठन है, लेकिन उनके निर्णयों पर लम्बे समय तक अमल देखने को नहीं मिला है।

पिछले का करो भुगतान


पहले बात अलग थी लेकिन अब कपड़ा कारोबार में काफी बदलाव आ गया है और जो इस बदलाव में शामिल नहीं है, उसके लिए व्यापार में टिका रह पाना भी मुश्किल सा हो गया है। नए बदलाव में लास्ट बिल के भुगतान के बाद ही नई खरीदारी का व्यापारिक नियम प्रतिष्ठान पर बन चुका है, उम्मीद है इसे कपड़ा बाजार में सभी व्यापारी अपनाएंगे।
सुनील अग्रवाल, सौरभ टैक्सटाइल, मिलेनियम टैक्सटाइल मार्केट

सामूहिक स्तर पर लिया निर्णय


कपड़ा बाजार में टेंट डेकोरेशन के कपड़ा का व्यापक कारोबार है और सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन के सभी सदस्य व्यापारियों ने सामूहिक स्तर पर ठोस निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत सूरत के व्यापारियों से जो भी टेंट डेकोरेशन का कपड़ा खरीदेगा उसे पहले का भुगतान चुकता करना पड़ेगा तब ही वह नई खरीदारी कर सकेगा।
देव संचेती, अध्यक्ष, सूरत कपड़ा मंडप एसोसिएशन

कई समस्या होती है पैदा


लेट पैमेंट अर्थात देरी से भुगतान कपड़ा बाजार के व्यापार के लिए कोढ़ में खाज के समान है। इससे एक-दो नहीं बल्कि कई व्यापारिक समस्याओं का सामना कपड़ा व्यापारियों को करना पड़ता है। जरूरत है अब सभी कपड़ा व्यापारी एकजुट होकर इस पर तयशुदा रणनीति बनाए और कपड़ा कारोबार में आगे बढ़ें।
सचिन अग्रवाल, कलाश्री साड़ी, एकता टैक्सटाइल मार्केट

स्व नियंत्रण व्यापार जरूरी


अधिक व्यापार की उलझी प्रतिस्पर्धा ने कपड़ा बाजार को यहां तक पहुंचा दिया है। इसे सुलझाने के लिए सबसे पहले स्व नियंत्रण आवश्यक है, व्यापारी की डिमांड से थोड़ा कम माल भेजा जाएगा तो भुगतान भी जल्दी होगा और डिमांड भी तेजी से आएगी। व्यापारिक संगठन तो ठीक लेकिन व्यापारी स्वयं इस दिशा में ठोस निर्णय करें।
प्रतीक चौधरी, कावेरी साड़ीज, रघुकुल टैक्सटाइल मार्केट

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो