scriptSURAT KAPDA MANDI: एक वो भी दौर था, जब 7 से 15 दिन में हो जाता था पेमेंट | SURAT KAPDA MANDI: There was a time when payment was made in 7 to 15 d | Patrika News
सूरत

SURAT KAPDA MANDI: एक वो भी दौर था, जब 7 से 15 दिन में हो जाता था पेमेंट

:: सूरत कपड़ा मंडी में बढ़ती उधारी की मियाद में बदलाव के लिए होने लगे व्यापारिक प्रयास –
:: 90 के दशक में कपड़ा व्यापारियों को मिलता था एक पखवाड़े में बकाया राशि का पेमेंट –
:: डेढ़ सौ दिन की लंबी उधारी में रकम फंसने की अधिक आशंका, व्यापारी होने लगे हैं जागरूक –

सूरतDec 18, 2023 / 09:25 pm

Dinesh Bhardwaj

SURAT VIDEO: लेबर-ट्रांसपोर्ट संगठन निर्णय पर कायम

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सूरत. एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी सूरत ने बीते तीन-चार दशक में व्यापारिक स्तर पर कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मौजूदा दौर में लगातार बढ़ती उधारी की मियाद से आजीज आए कपड़ा व्यापारियों को अब पुराने दिन याद आने लगे हैं। वे उन्हें याद करके ही पेमेंट की धारा (व्यापारिक नीति-नियम) में बदलाव की ईच्छा के साथ कपड़ा व्यापार में आगे बढ़ने की कड़ी मंशा बनाने लगे हैं। स्थानीय मंडी के व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर कपड़ा व्यापारियों ने इस दिशा में आगे बढ़ने की पहल की है।
करीब 30-35 साल पहले सूरत कपड़ा मंडी में उधार बेचे गए माल का पेमेंट 7 से 15 दिन तक हो जाता था। इसमें भी देसावर मंडियों के कपड़ा व्यापारी एक तय रकम के कई सारे डीडी (डिमांड ड्राफ्ट) यहां लेकर आते थे और वे भुगतान के रूप में एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी के यहां छह माह की सुरक्षित अवधि तक बतौर पेमेंट घुमाए जाते थे। स्थानीय बाजार में पुरानी हो चुकी इस बात को अब फिर से याद किया जाने लगा है और इसके लिए उधार की लंबी अवधि को कपड़ा व्यापारी जिम्मेदार मानते हैं। लंबी उधारी में रकम फंसने की अधिक आशंका के मद्देनजर अब कपड़ा व्यापारी इस दिशा में सकारात्मक पहल अपनाने को तैयार हैं।
:: लेट पेमेंट वाले व्यापारियों के ना लें ऑर्डर –

कपड़ा व्यापार की महत्वपूर्ण कड़ी आढ़तिया, एजेंट की संस्था आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत के साथ बीते दिनों हुई बैठक में स्थानीय कपड़ा व्यापारियों ने 90 दिन के बाद पेमेंट चुकाने वाले देसावर मंडियों के व्यापारियों के लिए कपड़े की मांग व ऑर्डर नहीं करने की बात कही। व्यापारियों ने बताया कि तीन माह से अधिक समय बाद पेमेंट करने वाले व्यापारियों के साथ व्यापार की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए। पेमेंट की अधिकतम अवधि 45 से 60 दिन तक की हो सकती है। लंबी उधारी रखने वाले व्यापारियों को स्थानीय मंडी में अन्य व्यापारी से माल नहीं मिले, इसकी भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
:: लंबी अवधि से भुगतान, व्यापारी परेशान –

मिलेनियम टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन की साप्ताहिक बैठक में भी इस विषय पर चर्चा की गई। एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि यहां व्यापारी को ज्यादातर पेमेंट 30 दिन के भीतर देना होता है, जबकि उसके बेचे गए माल का पेमेंट तीन-तीन महीने तक नहीं मिलता। इससे लागत खर्च के ब्याज समेत अन्य कई नुकसान भी झेलने पड़ते हैं। पेमेंट के वटाव (निर्धारित अवधि में भुगतान पर डिस्काउंट) का चलन भी अब खत्म सा हो गया है। ऐसे में स्थानीय व्यापारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
:: उधार बेचे माल के पेमेंट की चार ग्रेड –

पहली ग्रेड में उधार बेचे गए माल का पेमेंट 30 से 45 दिन में होता है, लेकिन इस ग्रेड में सूरत मंडी के ज्यादा व्यापारी शामिल नहीं हैं। दूसरी ग्रेड में बकाया पेमेंट 60 दिन में होता है और इस ग्रेड में आने के लिए स्थानीय मंडी के अधिकांश व्यापारी लालायित हैं। तीसरी ग्रेड 90 दिन तक पेमेंट की होती है, जिसमें शामिल ज्यादातर व्यापारी दूसरी ग्रेड में जाना चाहते हैं। इसके अलावा चौथी और अंतिम ग्रेड 90 दिन से 120 और 150 दिन तक पेमेंट की भी है। इस ग्रेड में भी कई व्यापारी शामिल हैं और उनके अपने निजी व्यापारिक कारण है।
:: कई व्यापारी हैं मिसाल –

जहां एक और सूरत कपड़ा मंडी में लंबी अवधि की उधारी और तीन-चार महीने तक पेमेंट की समस्या से व्यापारी परेशान हैं, वहीं कुछ व्यापारी ऐसे भी हैं जो केवल और केवल अपनी शर्तों पर वर्षों से व्यापार कर रहे हैं। ऐसे व्यापारियों के यहां देसावर मंडियों के व्यापारियों को माल दिलाने वाले एजेंट-आढ़तिया भी उनकी पेमेंट की शर्तों के अनुरूप ही व्यापार की कड़ी बनते हैं। अपने व्यापारिक मिजाज से कपड़ा कारोबार करने वाले यह व्यापारी पूरी सूरत कपड़ा मंडी में पेमेंट के मामले में मिसाल बने हुए हैं।
:: बदलाव तो आना ही चाहिए –

बेचे गए माल की उधारी के पेमेंट के नियम में बदलाव तो आना ही चाहिए। इन्फाॅर्मेशन-टेक्नोलॉजी के तेजी से बदलते दौर में स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ व्यापारिक संगठनों को भी इस महत्वपूर्ण दिशा में आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए। इसके लिए हमें बीता 30-35 साल वाला दौर भी याद करना चाहिए, जब पेमेंट गिनती के दिनों में हो जाता था।
– परमेश्वर माटोलिया, कपड़ा व्यापारी, मिलेनियम टेक्सटाइल मार्केट

:: उधार तो ठीक, लंबी उधारी बिल्कुल गलत –

व्यापार में उधार लेन-देन कोई गलत नहीं है, लेकिन कितनी अवधि व्यापार के अनुकूल है, इसका उसे ध्यान रखना चाहिए। अब तो ऑनलाइन पेमेंट का ट्रेंड है, देसावर मंडी के व्यापारी की परख के मुताबिक पेमेंट की शर्त रखने का अधिकार स्थानीय मंडी के व्यापारी के पास सुरक्षित है। बस उसका उपयोग करें।
– बृजमोहन अग्रवाल, कपड़ा व्यापारी, सिल्कसिटी टेक्सटाइल मार्केट

:: जागरूक करने के जारी हैं प्रयास –

कपड़ा व्यापार में पहली दो ग्रेड तक पेमेंट सिस्टम ठीक है और उसके लिए स्थानीय मंडी के व्यापारियों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। पेमेंट के नियमों में सुधार होगा तो अवश्य की सूरत मंडी के कपड़ा कारोबार की गति भी बढ़ेगी। इस सिलसिले में आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत के समक्ष व्यापारियों ने अपनी बात भी रखी है।
– कमलेश जैन, सक्रिय सदस्य, मिलेनियम टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन

:: इस दिशा में सार्थक प्रयास जरूरी –

कपड़ा व्यापार में लंबी अवधि में पेमेंट के चलन को रोकने के लिए सार्थक प्रयासों की जरूरत है। कुछ जरूरी सुझाव के साथ एसोसिएशन के समक्ष कपड़ा व्यापारियों ने अपनी बात भी रखी है। व्यापारियों के सुझाव पर आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन की कोर कमेटी विचार-विमर्श कर ठोस निर्णय पर पहुंचेगी।
– प्रह्लाद अग्रवाल, अध्यक्ष, आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत

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