महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार से जोडऩे का कार्यक्रम चलेगा। इसके तहत करीब तीन सौ से चार सौ महिलाओं को सोलर चरखा चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जो महिलाएं इस प्रशिक्षण को पूरा करेंगी, उन्हें सोलर चरखा दिया जाएगा।
सोलर चरखा पर विभिन्न सहायता भी लागू होगी, जिससे कम पंूजी में यह चरखा उनकी आय का जरिया बन सके। विधायक संगीता पाटिल ने बताया कि फिलहाल 50 चरखों की उपलब्धता है। महिलाओं को प्रशिक्षण देकर चरखे उपलब्ध कराए जाएंगे। इन चरखों से महिलाओं को घर बैठे महीने में छह से 10 हजार रुपए की आवक होगी।
यह है सोलर चरखा
सिंथेटिक टेक्सटाइल के बाद अब शहर को सूत कातने का आधुनिक चरखा उपलब्ध कराया जाएगा। करीब दो साल पहले केंद्र सरकार के माइक्रो, स्माल और मीडियम इंडस्ट्री (एमएसएमई) राज्यमंत्री गिरीराज सिंह सोलर चरखे को लेकर सरकार की योजना बताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार की योजना है कि देश भर में एक करोड़ महिलाओं को रोजगार से सीधे जोडऩे के लिए सोलर चरखे से उन्हें जोड़ा जाएगा। चरखे से अधिक उत्पादन और गुणवत्ता का ध्यान रखने के साथ उनकी ओर से तैयार उत्पाद को बेचने के लिए देश में पहले से सात हजार खादी के आउटलेट्स हैं। उन्होंने इसका पॉयलट प्रोजेक्ट बिहार से शुरू करने की बात भी बताई थी, जहां अब तक चार सौ से पांच सौ चरखे शुरू हो चुके हैं। अब सूरत में इसका प्रयोग शुरू होगा। शुरुआती दौर में 50 चरखों पर काम होगा।
‘सेवा’ ने तैयार की थी डिजाइन
सूरत इंजीनियरिंग विकास एसोसिएशन (सेवा) ने इसका डिजाइन तैयार किया है। इसके बाद गोंडल चरखा समिति ने भी इसका प्रोडक्शन शुरू किया है। हाथ से चलने वाले चरखे की गति अमूमन हजार से डेढ़ हजार आरपीएम होती है और अंबर चरखे की गति चार हजार से साढ़े चार हजार आरपीएम होती है। सोलर चरखे की गति को 11 हजार से 12 हजार आरपीएम करने के लिए इसमें स्पीलिंडर अंबर चरखे से चार गुना बढ़ाकर 32 की गई। धागे की गुणवत्ता के लिए यार्न पाथ डिजाइन तैयार किया गया है। शुरुआत में इसकी लागत लाख रुपए के अंदर रखने की कोशिश की गई है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से कई तरह की सब्सिडी भी दी जाने की योजना है। चरखा 150 एम्पीयर की बैटरी से चलेगा, जिसे सात से आठ घंटे में रेडिएशन आधारित चार्ज किया जा सकेगा। स्पेयर बैटरी रखने पर दिन और रात दोनों समय काम करने की व्यवस्था होगी।