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SMC : बिना टेंडर गणवेश और जूतों के ऑर्डर देने का आरोप

locationसूरतPublished: Sep 01, 2018 09:16:12 pm

समिति स्कूलों की खरीद की विजिलेंस जांच की मांग

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SMC : बिना टेंडर गणवेश और जूतों के ऑर्डर देने का आरोप

सूरत.

नगर प्राथमिक शिक्षा समिति स्कूलों में गणवेश को लेकर विजिलेंस जांच की मांग की गई है। समिति सदस्य नटु पटेल ने इस मामले में मनपा कमिश्नर से शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि विद्यार्थियों और शिक्षकों की गणवेश के मामले में समिति प्रशासन ने टेंडर जारी नहीं किया। बिना टेंडर ही लाखों की गणवेश के ऑर्डर दे दिए गए। विद्यार्थियों के जूतों के ऑर्डर में भी नियमों का पालन नहीं हुआ।
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एक ही कंपनी को काम सौंपा गया
समिति स्कूलों के शिक्षकों को भी गणवेश पहन कर आने का आदेश है। इसके लिए 2882 शिक्षकों और 1178 शिक्षिकाओं के 99 लाख 99 हजार 658 रुपए की गणवेश बनवाई गई। सभी शिक्षकों को दो-दो गणवेश दी गईं। नटु पटेल का आरोप है कि बिना टेंडर प्रक्रिया इनका ऑर्डर दिया गया और बिल भी चुकाया गया। इसके अलावा कक्षा 1 से 5 के 99,093 विद्यार्थियों के लिए 2 करोड़ 25 लाख 727 रुपए के जूते-मोजे, कक्षा 6 से 8 के 62,059 विद्यार्थियों के 1 करोड़ 41 लाख 79 हजार 240 रुपए के जूते-मोजे खरीदे गए। कुल 3 करोड़ 66 हजार 79 हजार 967 रुपए की खरीद की गई। यह प्रक्रिया भी बिना टेंडर की गई। बालवाड़ी के तीन हजार विद्यार्थियों की 24 लाख 28 हजार 800 की गणवेश भी बिना टेंडर खरीदी गई। एक ही कंपनी को काम सौंपा गया। नटु पटेल ने आरोप लगाया कि इसमें घोटाला हो सकता है। उन्होंने इस मामले की विजिलेंस जांच की मांग की है।
विद्यार्थियों को गणवेश नहीं मिली
नगर प्राथमिक शिक्षा समिति का शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक महीने से अधिक हो चुका है, लेकिन अभी तक विद्यार्थियों को गणवेश नहीं मिली है। वह पुरानी गणवेश से काम चला रहे हैं। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि टेंडरिंग प्रक्रिया में देरी के कारण विद्यार्थियों को गणवेश नहीं मिल पाई है। कई तकनीकी खामियों के कारण बार-बार टेंडर प्रक्रिया में सुधार करना पड़ा। गणवेश का ऑर्डर दे दिया गया है। एक लाख 60 हजार से अधिक विद्यार्थियों के गणवेश तैयार करने में करीब 90 दिन लगेंगे। इसके बाद ही विद्यार्थियों को गणवेश मिलने के आसार हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आधा शैक्षणिक सत्र समाप्त होने तक विद्यार्थी बिना गणवेश रहेंगे। समिति स्कूलों में पहले भी गणवेश दी जाती थी, लेकिन कई बार टेंडर में देरी के कारण शैक्षणिक सत्र समाप्त होने तक भी विद्यार्थियों को गणवेश नहीं मिल पाती थी। इसलिए गणवेश देना बंद कर दिया गया था। इसके एवज में छात्रवृत्ति देना शुरू किया गया, लेकिन यह राशि भी विद्यार्थियों को समय पर नहीं मिल पाती थी। राशि प्राचार्य के एकाउंट में पड़ी रह जाती थी। कई प्राचार्यों पर विद्यार्थियों के लिए दी गई राशि के दुरुपयोग का आरोप लगा। दोषी पाए गए ऐसे प्राचार्यों को राशि भरने का आदेश दिया गया और उनके अन्य स्कूलों में तबादले की कार्रवाई भी हुई। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि इस साल गणवेश में देर हो सकती है, लेकिन आने वाले शैक्षणिक सत्र में गणवेश समय पर मिल जाएगी।
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