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स्लम बस्तियों में पसरी गंदगी, स्वच्छता अभियान नाकाम

locationसूरतPublished: Nov 20, 2018 06:25:58 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

लोग बदबू और गंदगी में जीने के लिए मजबूरदानह प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा चालें

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स्लम बस्तियों में पसरी गंदगी, स्वच्छता अभियान नाकाम


सिलवासा. स्वच्छ भारत अभियान का असर चालों व स्लम बस्तियों में नहीं दिख रहा है। ग्रामीण विस्तारों के औद्योगिक परिक्षेत्रों में बनी अधिकांश चालें गंदगी पर बसी हैं। नियमित सफाई नहीं होने से यहां रहने वाले लोग बदबू और गंदगी में जीने के लिए मजबूर हैं।
प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा चालें बनी हैं। जमीन मालिकों द्वारा चालें कृषि भूमि पर बिना अनुमति के बना ली जाती हैं। बाद में बिजली और पानी का कनेक्शन भी मिल जाता है। जमीन मालिक चाल बनाकर किराए पर देते हैं। इनका मकसद सिर्फ किराया से होने वाली आमदनी है। चाल निर्माण के साथ पेयजल, जल निकास, कचरा निपटान की व्यवस्था नहीं की जाती है। चाल के निवासियों का कहना है कि चालें अवैध होने से घर दाखिला नहीं मिलता हैं, जिससे किराएदार गंदगी और असुविधा में रहने को मजबूर हैं। प्रदेश में 3 हजार से अधिक चालें हैं। सबसे अधिक चाल आंबोली ग्राम पंचायत क्षेत्र में बनी हैं। चाल बनाने के लिए पीडीए से अनुमति नहीं ली जाती है। चालों में कचरे का निपटान नहीं होने से रहवासी आसपास व सडक़ों पर कचरा डाल देते हैं।
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मसाट में चाल के चारों ओर गंदगी
प्रशासन ने विभिन्न विस्तारों में गरीबों और बेघरों को घर दिए हैं। मसाट में 30 बेघरों को चाल में घर मिले हैं। इन घरों में जल निकास, कूड़ा-करकट निपटान आदि की व्यवस्था नहीं है। इससे चाल के चारों ओर गंदगी एवं बदबू फैली रहती है। पिपरिया की सरकारी सोसायटी में भी यही हाल है।
उद्योगों में स्वास्थ्य सेवा का अभाव
सिलवासा. प्रदेश में साढ़े तीन हजार औद्योगिक इकाइयों के बावजूद इएसआई (कर्र्मचारी राज्य बीमा निगम) की सुविधा नहीं है। सच्चाई यह है कि कई छोटी व मध्यम इकाइयों में प्राथमिक पेटी भी नहीं हैं। उद्योगों में करीब दो लाख मजदूर व कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन सुरक्षा, आवास, स्वास्थ्य जैसे प्रबंध नहीं हैं। औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी सिर्फ सरकारी अस्पतालों पर आश्रित हैं।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के लिए प्रशासन के प्रयास नहीं दिख रहे हैं। सरकारी अस्पताल श्रीविनोबाभावे सिविल अस्पताल में भारी भीड़ के कारण उद्योगकर्मियों को वापी व दूसरे अस्पतालों में शरण लेनी पड़ती है। ईएसआई कर्मचारी व मजदूरों के लिए स्व वित्तपोषित सामाजिक सुरक्षा व स्वास्थ्य बीमा योजना है। औद्योगिक इकाइयों में 21 हजार रुपए से कम वेतन पाने वाले श्रमिक और मजदूर सभी हकदार हैं। इसमें कर्मचारी का योगदान 1.75 एवं रोजगार प्रदाता का 4.75 प्रतिशत अंशदान रहता है। बीमित व्यक्ति बीमारी के कारण शारीरिक कष्ट, अस्थायी या स्थायी जैसी स्थिति में स्वयं तथा अपने आश्रितों के लिए पूर्ण चिकित्सा देखभाल के लिए अतिरिक्त नकद लाभ के प्रार्थी हैं। इसमें बीमित व्यक्ति औद्योगिक इकाइयों में काम के दौरान दुर्घटनाग्रस्त अथा रोजगार जोखिम या संकट से मृत्यु होने पर, बीमित महिला के प्रसव खर्च आदि के लिए इएसआई जिम्मेदार रहती है।

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