इस दौरान सूरत में भारतीय गौरक्षा मंच की ओर से कमेला दरवाजा स्लोटर हाउस के पास हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। मंच के अध्यक्ष धर्मेश गामी ने बताया कि हस्ताक्षर अभियान के जरिए वह देश की जनता की भावनाएं सरकार तक पहुंचाना चाहते है। इस अवसर पर उपाध्यक्ष मजिद कुरैशी, सचिव करशन पटेल आदी मौजूद थे।
जैन मु्िन शांति सागर को उच्च न्यायालय से भी राहत नहीं
सूरत. वड़ोदरा की युवती से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार दिगम्बर जैन मुनि शांति सागर को उच्च न्यायलय से भी राहत नहीं मिली। गुरुवार को उच्च न्यायलय ने जैन मुनि की नियमित जमानत याचिका नामंजूर कर दी।
जैन मुनि शांति सागर के खिलाफ वड़ोदरा की युवती ने अठवा थाने में बलात्कार की शिकायत दर्ज करवाई थी। आरोप के मुताबिक युवती परिवार के साथ जैन मुनि से आशीर्वाद लेने आई थी, तभी जैन मुनि उसे अलग से एक कमरे में ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। शिकायत दर्ज होने पर अठवा पुलिस ने शांति सागर को गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह न्यायिक हिरासत में कैद है। इससे पहले शांतिसागर ने सूरत सेशन कोर्ट में नियमित जमानत के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका नामंजूर कर दी थी। इसके बाद जैन मुनि ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी। गुरुवार को अंतिम सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने भी याचिका नामंजूर कर दी।
निषेधाज्ञा भंग के मामले में अशोक जीरावाला बरी
सूरत. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली के खिलाफ प्रदर्शन करने को लेकर दर्ज निषेधाज्ञा भंग के मामले में कांग्रेस पार्षद अशोक जीरावाला और भगीरथ पीठवली को कोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए आरोपों से बरी कर दिया।
सूरत. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली के खिलाफ प्रदर्शन करने को लेकर दर्ज निषेधाज्ञा भंग के मामले में कांग्रेस पार्षद अशोक जीरावाला और भगीरथ पीठवली को कोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए आरोपों से बरी कर दिया।
प्रकरण के अनुसार वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान वराछा में भाजपा की ओर से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा का आयोजन किया गया था। कांग्रेस नेता अशोक जीरावाला, भगीरथ पीठवली और कार्यकर्ताओं ने सभा स्थल के पास पटाखे जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने अशोक जीरावाला और भगीरथ पीठवली के खिलाफ निषेधाज्ञा भंग को लेकर आइपीसी की धारा 143,188 और 336 के तहत मामला दर्ज किया था। चार्जशीट पेश होने के बाद 11 साल से मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के बाद दोनों अभियुक्तों को आरोपों से बरी कर दिया।